नोएडा-ग्रेटर नोएडा में किसानों के मुद्दों को संवेदनशील तरीके से निपटाने से शांत हो सकता है गुस्सा : भाजपा नेता

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नोएडा, 21 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के शो विंडो गौतमबुद्ध नगर में आए दिन किसानों के बड़े-बड़े धरना प्रदर्शन और आंदोलन होते रहते हैं। किसानों का आरोप होता है कि प्राधिकरणों ने उनकी जमीन तो ले ली, लेकिन उन्हें वह सुविधा, मुआवजा मुहैया नहीं करवाया जो वादा उनसे किया गया था और इसी वादा खिलाफी को लेकर किसान लगातार आंदोलन करते आ रहे हैं।

किसानों के आंदोलन के चलते कई बार इसका खामियाजा आम जनता को भी उठाना पड़ता है। केंद्र और प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद भी इसका हल होता दिखाई नहीं दे रहा है। किसानों की मांगो को कैसे पूरा किया जाए।

आंदोलन कैसे खत्म कर सबको संतुष्ट किया जाए। इसी पर इस बार कुछ सवालों के साथ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और गौतम बुद्ध नगर में केंद्र की जनयोजनों को आम जनता तक पहुंचने वाले गोपाल कृष्ण अग्रवाल से कुछ सवाल पूछे गए।

गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने किसानों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं के समाधान को लेकर सरकार से बात भी की है और रास्ता निकालने की कोशिश भी की है।

सवाल – देश में और प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन सरकार होने के बावजूद भी गौतमबुद्ध नगर में क्यों नहीं किसानों की समस्या का हल हो रहा है ?

जवाब – उत्तर प्रदेश के किसान देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और कृषि उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। किसानों के विकास के विषय के दो पहलू हैं। इस क्षेत्र में एक पहलू कृषि से जुड़ा हुआ है। दूसरा पहलू उन किसानों के अधिकारों और लाभों से संबंधित है जिनकी भूमि किसी प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित की गई है। प्राधिकरण की भूमि अधिग्रहण नीति के अनुसार, कृषि भूमि पर स्थापित परियोजनाओं को स्थानीय आबादी के लिए नौकरियां आरक्षित करने की आवश्यकता होती है, लेकिन उनमें से कई जगहों पर इसको माना नहीं जाता है। इसी तरह, यहां स्थापित होने वाले नए स्कूल भूमि आवंटन के नियमों और शर्तों का पालन नहीं करते, जिसके तहत उन्हें स्थानीय बच्चों के लिए सीटों का एक छोटा प्रतिशत आरक्षित करने की आवश्यकता होती है। भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसान 5 फीसदी अतिरिक्त आबादी भूमि और एक समान मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं।

सवाल – क्यों यूपी के शोविंडो में किसानों के साथ इतनी समस्याएं हैं ? उसकी वजह क्या है?

जवाब – किसानों के कृषि संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए एक ऐसे व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें नीतिगत सुधार, तकनीकी हस्तक्षेप और समर्थन प्रणालियां शामिल हो जो टिकाऊ और न्यायसंगत कृषि प्रथाओं को सुनिश्चित करें। गौतम बुद्ध नगर में किसानों की स्थिति में सुधार करने में उनके सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों का समाधान करना शामिल है। गौतम बुद्ध नगर के विभिन्न क्षेत्रों में किसानों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप समाधानों के संयोजन को लागू करने से कृषि पद्धतियों, आजीविका और ग्रामीण विकास के समग्र सुधार में योगदान मिलेगा। हम आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से कृषि विकास और मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सवाल – किसानों की इस समस्या का क्या कोई समाधान होगा? समाधान कैसे हो सकता है इसका रास्ता बताएं?

जवाब – किसानों की नाराजगी और असंतुष्टि गौतमबुद्ध नगर संसदीय क्षेत्र में एक प्रमुख मुद्दा है। इस मुद्दे की जटिलता का कारण, विभिन्न समय सीमा में तीन प्राधिकरण द्वारा भूमि अधिग्रहण किया जाना है। नोएडा प्राधिकरण ने 1976 के आस-पास भूमि अधिग्रहण किया, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 1997-98 के आस-पास और यीडा (यमुना प्राधिकरण) ने 2010 के आस-पास भूमि अधिग्रहण किया। तीनों प्राधिकरणों द्वारा किसानों को दिया गया मुआवजा अलग-अलग था और इसलिए विभिन्न किसान संगठनों की शिकायतें भी अलग अलग हैं। इन शिकायतों का समाधान करने के लिए प्राधिकरणों को केवल तकनीकी विवादों से परे एक सहृदय और मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बढ़ना होगा, भविष्य में एक न्यायसंगत और मानवीय कृत मुआवजा संरचना और व्यापक कार्यक्रम को लागू करने की आवश्यकता है जो केवल वित्तीय मुआवजा से अलग हो। स्थानीय समुदाय, विशेषकर किसान को विकास में शामिल करना, उनकी सहभागिता के लिए अवसर बनाना महत्वपूर्ण है ताकि उसमें विकास की दौड़ से बाहर छूट जाने का अहसास न हो।

नोएडा प्राधिकरण ने भू अर्जन अधिनियम 1984 में वर्णित प्रावधान के अनुसार 16 गांव की 19 अधिसूचनाएं को एक किसान की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी। इस चुनौती पर उच्च न्यायालय ने किसानों को 64.70 प्रतिशत की दर से मुआवजा और 10 प्रतिशत आबादी भूखंड देने का आदेश दिया। 21 अक्टूबर 2011 के आदेश क्रम में ऐसे किसान जिनकी याचिका खारिज कर दी गई या जो न्यायालय नहीं गए उनका निर्णय प्राधिकरण को लेने का निर्देश दिया गया। न्यायालय के आदेश के बाद प्राधिकरण ने 191वीं बोर्ड बैठक में निर्णय लिया कि 10 प्रतिशत विकसित आबादी भूखंड (जिन्हें पूर्व में 5 प्रतिशत विकसित आबादी भूखंड मिल चुका है, उन्हें अतिरिक्त 5 प्रतिशत भूखंड या इसके क्षेत्रफल के समतुल्य मुआवजा सिर्फ उन्ही किसानों को दिया जाएगा जो उच्च न्यायालय के आदेश 21 अक्टूबर 2011 में शामिल हुए थे। प्राधिकरण ने माना कि ऐसे किसान जिन्होंने न्यायालय में चुनौती दी लेकिन उनकी याचिका को निरस्त कर दिया गया और ऐसे किसान जिन्होंने अधिसूचना को चुनौती ही नहीं दी। वे पात्र नहीं हैं। इस निर्णय के बाद किसानों में आक्रोश भर गया। इसके बाद ऐसे किसान जो उस समय न्यायालय नहीं गए थे। उन्होंने याचिका दायर की। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। तब से लगातार किसान मांग को लेकर प्रदर्शन करते आ रहे हैं।

–आईएएनएस

पीकेटी/एसकेपी