नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह करीब 120 लोगों के साथ 700 किलोमीटर की पदयात्रा कर दिल्ली पहुंचे थे। दिल्ली पहुंचकर वह गांधी जी की समाधि स्थल राजघाट पर गांधी जयंती के दिन सरकार के समक्ष लद्दाख और हिमालय की समस्याओं को लेकर अपनी बात रखना चाह रहे थे। उनकी इस गिरफ्तारी को प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने गैरकानूनी बताया है।
उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “गिरफ्तारी केवल सोनम वांगचुक की नहीं हुई है। इसमें 160 से अधिक लोग शामिल हैं। कम से कम 38 से 40 लोग बवाना पुलिस स्टेशन में हैं और सभी लोग उपवास पर हैं। हम भी कल गांधी जयंती के अवसर पर 12 घंटे का उपवास करेंगे। सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी उस समय हुई, जब वे 900 किलोमीटर की यात्रा कर राजघाट पहुंचना चाहते थे, जबकि उन्हें गिरफ्तार करने का कोई उचित आधार नहीं था। सरकार ने जो निषेधाज्ञा (प्रोहिबिटरी ऑर्डर) जारी की है, उसमें किसी भी मुद्दे का संबंध इनसे नहीं है।”
उन्होंने कहा, “जब धारा 144 लागू होती है, तो सार्वजनिक डोमेन में इसकी जानकारी होनी चाहिए। अगर जनता को इसकी जानकारी नहीं है और फिर पांच या अधिक लोग इकट्ठा होते हैं, तो उन पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। आज की नई न्याय संहिता के तहत लोगों के साथ अन्याय हो रहा है। सरकार ने कल गांधी जयंती के दिन लोगों को राजघाट पहुंचने से रोकने का आदेश दिया है, यह कैसे संभव है? किसी भी कानून का पालन करना जरूरी है, लेकिन जिनका उस कानून से कोई संबंध नहीं है, उन्हें उसके दायरे से बाहर रखा जा सकता है। उनकी गिरफ्तारी और कानूनी हिरासत अवैध है। कल रात से उन्हें पुलिस स्टेशन में बिठाकर रखा गया है, इन्हें मुक्त किया जाना चाहिए। उन्हें गांधी समाधि तक पहुंचने दिया जाना चाहिए। उन्होंने सभी नेताओं, यहां तक कि राष्ट्रपति तक, अपनी बात रखी थी। ये लोग चुपचाप चल रहे थे। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा में जनता ने उनका स्वागत किया। लेकिन दिल्ली पुलिस ने उनको रोका और महिलाओं को भी परेशान किया, फिर उन्हें पुलिस स्टेशनों में भेज दिया। यह गैर-कानूनी है।”
मेधा पाटकर ने जोर देते हुए कहा, “उनका कोई अपराध नहीं है। अपराध तो उन कार्रवाइयों में है, जो इन लोगों पर हो रही है। हर नेता और नेत्री का यह कर्तव्य है कि वे जहां अन्याय और अत्याचार हो रहे हैं, वहां पहुंचें। हम किसी पार्टी के सदस्य नहीं हैं, लेकिन जब जनसंसद के प्रतिनिधि मिलते हैं, तो उन्हें भी गिरफ्तार किया गया या हिरासत में रखा गया है। आज गिरफ्तारी और हिरासत में कोई फर्क नहीं रह गया है। यह स्थिति हम कैसे सहन कर सकते हैं? इन लोगों को तुरंत छोड़ना चाहिए, अन्यथा सरकार की बदनामी होगी। विकास के नाम पर कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए, लेकिन यहां पर कानूनन हिंसा थोपी जा रही है।”
बता दें कि पुलिस का कहना है कि राज्य में बीएनएस की धारा 168 लागू थी, जिसकी वजह से एक साथ पांच से अधिक लोग इकट्ठा नहीं हो सकते हैं। इसी वजह से वांगचुक और उनके साथियों को हिरासत में लिया गया है।