प्रधानमंत्री की आलोचना कीजिए, ना की उनसे नफरत : आचार्य प्रमोद कृष्णम

0
10

नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने विपक्षियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आप लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना कीजिए, उनकी कार्यशैली की आलोचना कीजिए, उनके फैसलों की आलोचना कीजिए, ना की उनसे नफरत कीजिए। लेकिन, जिस तरह विपक्षी दल उनसे नफरत कर रहे हैं, वह निंदनीय है।

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी भी कीमत पर अपदस्थ करना चाहते हैं। वे नहीं चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी अपने पद पर विराजमान रहें और रोचक बात यह है कि विपक्षियों को यह बात भलीभांति पता भी है कि नरेंद्र मोदी को तब तक पद से पद से नहीं हटाया जा सकता है, जब तक सनातन धर्म में विभाजन ना पैदा किया जाए। जब तक हिंदुओं को विभाजित ना किया जाए। हिंदुओं को ये लोग विभाजित करना चाहते हैं, कोई जाति के नाम पर तो कोई भाषा के नाम पर तो कोई क्षेत्र के नाम पर। अंत में ये लोग विभिन्न मुद्दों का सहारा लेकर देश को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन शायद इन लोगों को पता नहीं है कि जनता समझदार है। इनके मंसूबे कभी पूरे होने वाले नहीं हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “कुल मिलाकर यह लोग देश को विभाजित करना चाहते हैं, लेकिन शायद इन लोगों को पता नहीं है कि इस देश का विभाजन काफी पहले ही हो चुका है, लेकिन पता नहीं क्यों ये लोग यह सोच रहे हैं कि हम इस देश को फिर से विभाजित करेंगे। ऐसा करके ये लोग देश को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन देश की जनता ऐसा होने नहीं देगी। इन विपक्षी दलों को पता होना चाहिए कि 1947 में इस देश का विभाजन हो चुका है।”

उन्होंने विपक्षियों को हिदायत देते हुए कहा कि भगवान के लिए आप लोग थोड़ी तो शर्म कीजिए। विभाजन की विभीषिका का जख्म अब नासूर बन चुका है। हमारी आत्मा तक इससे छलनी हो चुकी है। अब तो आप लोग खामोश रहो। राजनीति करो, आपको राजनीति करने से किसी ने भी नहीं रोका है, लेकिन मेहरबानी करके देश को मत तोड़ो। अपने नापाक मंसूबों को जमीन पर मत उतरने दो। मैं तो कहता हूं कि आप लोग नरेंद्र मोदी के फैसलों की आलोचना करो। आपको लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी के अंतर्गत ये अधिकार है, लेकिन उनसे नफरत मत करो। इस देश में पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक सभी के फैसलों की आलोचना हुई है। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर डॉ मनमोहन सिंह तक के फैसलों की आलोचना हुई है। आलोचना से कोई आपत्ति नहीं है। आलोचना तो लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में अहम भूमिका निभाती है, लेकिन अंत मैं आपसे यही कहना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नफरत मत करो।