नई दिल्ली, 1 फरवरी (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी ने शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2025-26 के आम बजट को निराशाजनक बताया। उसने कहा कि मिडिल क्लास के साथ छलावा किया गया है और होम लोन में कोई राहत नहीं दी गई है।
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “देश के खजाने का एक बड़ा हिस्सा चंद अमीर अरबपतियों के कर्जे माफ करने में चला जाता है। मैंने मांग की थी कि बजट में यह ऐलान किया जाए कि आगे से किसी अरबपति के कर्जे माफ नहीं किए जाएंगे। इससे बचने वाले पैसे से मिडिल क्लास को होम लोन और व्हीकल लोन में छूट दी जाए, किसानों के कर्जे माफ किए जाएं। इनकम टैक्स और जीएसटी की टैक्स दरें आधी की जाएं।”
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने मिडिल क्लास के लिए सात मांगे केंद्र सरकार के समक्ष रखी थीं। जिसमें से एक ही पूरी हुई है और अभी छह मांगें बाकी हैं। उनकी मुख्य मांग थी कि आम जनता और मिडिल क्लास को यह बजट समर्पित होना चाहिए और आय कर में छूट की सीमा सात लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर देनी चाहिए, जो पूरी हो गई।
आप नेता जस्मीन शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि बजट 2025 हर किसी के लिए, खासकर मिडिल क्लास के लिए निराशाजनक है। उन्होंने बताया कि देश की लगभग 30 फीसद आबादी मिडिल क्लास है। लेकिन सिर्फ दो फीसद यानि लगभग तीन करोड़ लोग ही आयकर देते हैं। बाकी लोग, जिनमें गरीब भी शामिल हैं, जीएसटी, पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी जैसे अप्रत्यक्ष कर भरते हैं। इस बजट में 98 फीसदी भारतीयों के लिए कोई राहत नहीं दी गई है।
जस्मीन शाह ने कहा कि दो सप्ताह पहले अरविंद केजरीवाल ने मिडिल क्लास के लिए सात बड़े सुझाव दिए थे। इसमें स्वास्थ्य और शिक्षा पर ज्यादा खर्च, जरूरी सामानों पर जीएसटी खत्म करना, पेंशन योजना, वरिष्ठ नागरिकों के लिए रेल टिकट में 50 फीसद की छूट जैसी मांगें शामिल थीं। लेकिन मोदी सरकार ने इनमें से सिर्फ आयकर में छूट की सीमा बढ़ाने की बात मानी जिससे सिर्फ दो फीसद लोगों को फायदा पहुंचाता है। बाकी 98 फीसद जनता की परवाह नहीं की गई, बस मीडिया का ध्यान भटकाने की कोशिश हुई।
आप नेता ने कहा कि बजट 2025 की सबसे बड़ी नाकामी यह है कि इसमें नौकरियों या 90 फीसद भारतीयों की सैलरी बढ़ाने की कोई योजना नहीं है, जो हर महीने 25 हजार रुपये से कम कमाते हैं। हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा क्या हुआ? पिछले साल कितनी नौकरियां मिलीं, अगले साल का लक्ष्य क्या है? साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कहां गई? इस पर पूरी तरह चुप्पी है। आम आदमी की सैलरी बढ़ाने का कोई प्लान नहीं, जबकि आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया था कि आज लोगों की आमदनी छह साल पहले से भी कम हो गई है।
उन्होंने कहा कि बजट 2025 देश को विकसित बनाने के सपने को सबसे बड़ा नुकसान यह पहुंचाता है कि इसमें शिक्षा और स्वास्थ्य में सरकारी भूमिका को खत्म कर दिया गया है। अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से शिक्षा बजट 10 फीसद तक बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन मोदी सरकार ने इसे घटा दिया। 2013-14 में शिक्षा बजट जीडीपी का 4.6 फीसदी था, जिसे अब आधा करके 2.5 फीसदी कर दिया गया है। पूरे बजट में सरकारी स्कूलों का कोई जिक्र तक नहीं किया गया। आईआईटी में सीटें बढ़ाने की बात की गई, लेकिन यह नहीं बताया गया कि 40 फीसदी शिक्षकों के पद खाली क्यों पड़े हैं?