बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद महाराष्ट्र में सियासी उबाल, कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल

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मुंबई, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाबा सिद्दीकी हत्याकांड को लेकर महाराष्ट्र के कानून-व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी), शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि जब महाराष्ट्र में राजनेता तक सुरक्षित नहीं हैं, तो आम लोगों की सुरक्षा की तो कल्पना करना भी व्यर्थ है।

शिवसेना (यूबीटी) के लोकसभा सांसद अरविंद सावंत ने कहा, “जिस तरह से इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया है, उससे साफ जाहिर होता है कि महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। ताज्जुब की बात है कि धमकी मिलने के बाद उनकी (बाबा सिद्दीकी) सुरक्षा बढ़ाई गई थी। इसके बावजूद उन पर पांच राउंड फायरिंग कर दी गई। ऐसे में अब आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जब जनप्रतिनिधियों के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम लोगों की क्या स्थिति होगी।”

उन्होंने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “अगर ऐसी स्थिति किसी और प्रदेश मे हुई होती, तो भाजपा राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग करती। लेकिन इस घटना को लेकर जिस तरह से भाजपा ने चुप्पी साध रखी है, उसे लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। यह वाकई हमारे लिए चौंकाने वाला है।”

कांग्रेस नेता असलम शेख ने भी महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि एक निर्दोष व्यक्ति मारा गया है, जिसे लेकर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इसके अलावा, जिस तरह से मौजूदा सरकार में पुलिस को प्रताड़ित किया जा रहा है, वह उचित नहीं है। महाराष्ट्र पुलिस अब उत्तर प्रदेश और बिहार पुलिस के नक्शे कदम पर चल रही है। शायद इसलिए प्रदेश की ऐसी स्थिति है।”

शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने भी बाबा सिद्दीकी हत्याकांड पर बयान दिया। उन्होंने कहा, “आखिर सुरक्षाकर्मी क्या कर रहे थे। पिछले 20 दिन से पुलिस क्या कर रही थी। इतनी बड़ी घटना हो गई और पुलिस को खबर तक नहीं लगी। स्पष्ट है कि इस प्रकरण में राजनीतिक हस्तक्षेप था। महाराष्ट्र में कभी-भी ऐसी स्थिति पैदा नहीं हुई थी। महाराष्ट्र में कभी भी ऐसा नहीं हुआ था। मैं पुलिस को दोष नहीं देता है। मैं सरकार को दोष देता हूं। यह सरकार आरोपियों का समर्थन करती है। मुख्यमंत्री को इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।”