शिमला, 5 फरवरी (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के कर्मचारियों और अभियंताओं के ज्वॉइंट फ्रंट ने अपनी कमेटी को और विस्तार देते हुए हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड कर्मचारी, अभियंता और पेंशनर्स की ज्वाॅइंट एक्शन कमेटी का गठन किया है।
नए गठन के बाद हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड ने राज्य सरकार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का मन बना लिया है। ज्वाॅइंट फ्रंट ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।
ज्वाॅइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने शिमला में कहा कि अब बिजली बोर्ड को रेशनलाइजेशन के नाम पर खत्म करने का काम किया जा रहा है। कर्मचारी रेशनलाइजेशन के विरोध में नहीं है, बल्कि वे चाहते हैं कि सभी के साथ बैठकर इसका फैसला हो। उन्होंने कहा कि कमरे में बैठकर इस तरह के फैसले नहीं लिए जा सकते। बिजली बोर्ड हिमाचल प्रदेश के करीब 30 लाख उपभोक्ताओं को सेवाएं देता है। ऐसे में अगर बिजली बोर्ड के साथ छेड़छाड़ की जाएगी, तो इससे आम लोग भी परेशान होंगे।
सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि हाल ही में बिजली बोर्ड के 700 पदों को खत्म किया गया है। मुख्यमंत्री की ओर से भी इसकी अनुमति दे दी गई है। बिजली बोर्ड को बैक गियर में डाल दिया गया है। इससे कर्मचारियों का भी मनोबल गिर रहा है। कर्मचारी और पेंशनर बिजली बोर्ड से छेड़छाड़ सहन नहीं करेंगे। आज राज्य सरकार के खिलाफ कर्मचारी और पेंशनरों में रोष है। बिजली बोर्ड में नई भर्ती नहीं की जा रही है। राज्य सरकार कोशिश कर रही है कि यहां आउटसोर्स के आधार पर ही काम हो।
हीरालाल वर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड को नुकसान में दिखाने की कोशिश की जा रही है, जबकि बिजली बोर्ड नुकसान में नहीं है। इसी तरह बिजली बोर्ड को मिलने वाली सब्सिडी का भी वक्त पर भुगतान नहीं हो रहा है। इसकी वजह से कर्मचारी और पेंशनर परेशान हो रहे हैं। आने वाले वक्त में ज्वाॅइंट फ्रंट बड़े आंदोलन से पीछे नहीं हटेगा। अगर पेंशनर सड़क पर नहीं उतर सकता, तो उनके परिवार के लोग सड़कों पर उतरेंगे और बिजली बोर्ड के कर्मचारी भी राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। हम सरकार की ओर से किए जा रहे अन्याय को नहीं सहेंगे।