मणिशंकर अय्यर अपनी राजनीति को फिर जीवित करने के लिए कांग्रेस पर लगा रहे आरोप : तनुज पुनिया

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नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने सोमवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने उमर अब्दुल्ला के ईवीएम को लेकर दिए गए बयान, मणिशंकर अय्यर द्वारा गांधी परिवार पर करियर चौपट करने का आरोप लगाने और अन्य मुद्दों पर प्रतिक्रिया दी।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा था कि ईवीएम को लेकर बार-बार शिकायत करना बंद करें। इस पर तनुज पुनिया ने कहा कि उमर अब्दुल्ला हमारे सहयोगी हैं और हमारा गठबंधन लोकतांत्रिक है। प्रजातांत्रिक तरीके से यहां पर फैसले होते हैं। हर कोई अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है और उन्होंने अपनी बात रखी है, उस पर चर्चा भी होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का यह मानना है कि जहां भी हमने चुनाव जीता है, वहां हम जीत का सम्मान करते हैं और जहां हम हारते हैं, वहां हम हार को भी स्वीकार करते हैं।”

उन्होंने कहा कि ईवीएम का मुद्दा संसद में भी उठाया गया है। प्रियंका गांधी और कई अन्य नेताओं ने कहा है कि ईवीएम में छेड़छाड़ की संभावनाएं हैं। इलेक्ट्रॉनिक चीजों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। आज आप देख ही रहे हैं कि तकनीक कितनी आगे बढ़ चुकी है। कई जगह तो साफ दिख रहा है कि किस तरह से ईवीएम का दुरुपयोग हो रहा है। पुनिया ने सवाल किया कि अगर यह पूरी तरह से सही होती, तो क्या बड़े-बड़े विकसित देशों ने ईवीएम अपनाकर उसे हटा दिया होता?

मणिशंकर अय्यर ने हाल ही में नेहरू-गांधी परिवार पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उनका करियर चौपट कर दिया। इस पर तनुज पुनिया ने कहा कि मणिशंकर अय्यर सम्मानित नेता हैं, लेकिन आप देख सकते हैं कि कई साल से उनके बयान उल्टे-सीधे आते रहे हैं। बिना सोचे-समझे बयान देना उनकी आदत बन चुकी है। कहीं न कहीं नेहरू-गांधी परिवार पर आरोप लगाकर अपनी राजनीति को फिर से जीवित करने की कोशिश हो रही है। उन्हें पार्टी से निष्कासित इसलिए किया गया था क्योंकि उनके बयान सही नहीं होते थे। अब वह हमारे पार्टी में नहीं हैं, तो हम उनके बारे में टिप्पणी नहीं करना चाहते।

प्रधानमंत्री मेमोरियल की ओर से सोनिया गांधी से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पत्र वापस करने का आग्रह किया गया है। इस पर तनुज पुनिया ने कहा कि वे पत्र सार्वजनिक रूप से पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं, किताबों में छपे हुए हैं और संसद भवन के फ्लोर पर भी लोग इन्हें उद्धृत करते हैं। जिन पत्रों का संबंध निजी तौर पर नेहरू परिवार से था, वे पत्र सोनिया गांधी के पास हैं, लेकिन जो सार्वजनिक पत्र हैं, वह पहले से ही जनता के सामने हैं, इसलिए इसमें कोई नई बात नहीं है।