मध्य प्रदेश में अपनों को रोक पाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती

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भोपाल, 4 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर कांग्रेस के सामने अपनों में भरोसा पैदा करने के साथ दल में रोके रखने की चुनौती खड़ी हो गई है। जमीनी स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के नेता भाजपा के संपर्क में हैं और वह पाला बदलने की तैयारी में हैं।

यह स्थिति भाजपा के कांग्रेस विहीन बूथ के संकल्प को पूरा करने में मददगार साबित हो सकती है।

वर्तमान में सियासी दल लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं और उम्मीदवारों के चयन के दौर से गुजर रहे हैं, वहीं अपने-अपने संगठन और जमीनी स्तर की स्थिति को मजबूत करने के लिए सभी तरह के दांव-पेंच आजमाने में पीछे नहीं है।

भाजपा ने तो पार्टी में आने वालों से संपर्क स्थापित करने के लिए न्यू ज्वाॅइनिंग टोली तक बना दी है। इस टोली को पहली बड़ी सफलता भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के संसदीय क्षेत्र खजुराहो के पन्ना जिले में मिली, जहां के शाहनगर क्षेत्र के 21 जनपद सदस्यों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।

राज्य की सियासत पर गौर करें तो पता चलता है कि कांग्रेस के कई बड़े नेता भाजपा के संपर्क में हैं और वो कांग्रेस छोड़कर कभी भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं। इसकी बड़ी वजह भी है क्योंकि कांग्रेस के भीतर बड़े नेताओं के खिलाफ नाराजगी चल रही है और आपसी समन्वय का अभाव बना हुआ है।

हाल ही में मुरैना के पूर्व विधायक राकेश मवई भी भाजपा में शामिल हुए हैं। इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह का भी पार्टी विरोधी बयान सामने आया है। कई और नेता भी इसी तरह की बयानबाजी करते रहे हैं। यही कारण है कि आने वाले समय में कई अन्य नेता भी भाजपा का हिस्सा बन सकते हैं।

कांग्रेस में कई नेताओं के पार्टी छोड़ने और संभावित दल बदल को लेकर जब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से पूछा गया तो उनका कहना है कि सब स्वतंत्र हैं, कोई बंधा हुआ नहीं है।

वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा राज्य के हर बूथ को मोदी बूथ के साथ कांग्रेस विहीन बूथ बनाने का संकल्प ले चुके हैं। राज्य में सबसे बड़ा दल बदल 2020 में तब हुआ था जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ दी थी और कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी।

उसके बाद कई और विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी और वे भाजपा का हिस्सा बन गए।

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान दल बदल की बयार चली और कांग्रेस के कई दिग्गजों ने भाजपा का दामन थामा। अब एक बार फिर दल-बदल का माहौल बनने लगा है।

राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि मध्य प्रदेश में लंबे अरसे से भाजपा की सरकार है और केंद्र में भी एक दशक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार है तो दूसरी ओर राज्य की कांग्रेस में बढ़ती गुटबाजी और कम होते आपसी समन्वय के चलते कार्यकर्ता तथा नेताओं में निराशा बढ़ रही है। हर राजनेता की अपनी महत्वाकांक्षा है और उसे संभावना भी भाजपा में नजर आ रही है। लिहाजा वे भाजपा की तरफ बढ़ रहे हैं।