गोरखपुर,12 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ देश और दुनिया के लोगों को उत्तर प्रदेश और भारत को जानने का महत्वपूर्ण अवसर है। इस भव्य और दिव्य आयोजन में भारत की आध्यात्मिक विरासत को संतों के माध्यम से जानने और देखने का अद्भुत अनुभव भी मिलेगा। इस बार प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन इसलिए भी विशिष्ट है कि इसका शुभ मुहूर्त 144 वर्षों के बाद आया है। महाकुंभ का आयोजन अद्भुत उत्साह के साथ हो रहा है।
सीएम योगी रविवार को गोरखपुर महोत्सव 2025 के औपचारिक समापन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 13 जनवरी से 26 फरवरी तक 45 दिन का भव्य आयोजन सोमवार से शुरू हो रहा है। 40 करोड़ आबादी महाकुंभ में आएगी। 40 करोड़ की आबादी दुनिया के अंदर भारत और चीन के अलावा किसी भी देश में नहीं है। मां गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी के संगम में स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। सीएम ने कहा कि पहली बार महाकुंभ को लेकर अक्षयवट कॉरिडोर, मां सरस्वती, बड़े हनुमान मंदिर, महर्षि व्यास और भगवान राम और निषादराज कॉरिडोर बन गया है। यहां नाग वासुकी और द्वादश ज्योतिर्लिंग और चार धाम की यात्रा का आनंद विप्रिका के माध्यम श्रद्धालु कर सकेंगे।
उन्होंने बताया कि महाकुंभ का आयोजन 10 हजार एकड़ क्षेत्रफल में हो रहा है। शुक्रवार की रात तक 35 लाख श्रद्धालु यहां पहुंच गए थे। उन्होंने जनमानस से अपील की कि मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ में खिचड़ी चढ़ाइए और फिर सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को समझने के लिए महाकुंभ जरूर जाइए। 29 जनवरी को 144 वर्ष बाद विशिष्ट संयोग बन रहा है, जब भगवान सूर्य मकर राशि में होंगे। बृहस्पति वृष राशि में होंगे। विशिष्ट मुहूर्त पर प्रयागराज में मौनी अमावस्या स्नान का शुभारंभ होगा।
सीएम योगी ने कहा कि यह याद रखना होगा कि संस्कृति के अभाव में कोई राष्ट्र लंबे समय तक अपनी जीवन गाथा को आगे नही बढ़ा सकता। लोक गाथा, लोक परंपरा राष्ट्र की संजीवनी होती है। लोक परपंरा, लोक गाथाओं, लोक गायन, लोक कलाकारों को इस प्रकार के कार्यक्रम और महोत्सव के माध्यम से एक प्लेटफार्म प्राप्त होता है। महोत्सव का उद्देश्य स्थानीय नौजवानों, कलाकारों, कलाकृतियों, किसानों और उद्यमियों तथ समाज के लिए कुछ योगदान किया है उनको प्रोत्साहित करना, उनको मंच उपलब्ध कराना, उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना है और इस दृष्टिकोण से गोरखपुर महोत्सव नई ऊंचाइयों को छू रहा है। गोरखपुर महोत्सव के विविध आयामों की सराहना करते हुए सीएम योगी ने कहा कि टेराकोटा, शहद उत्पादन को देखना है तो महोत्सव में जरूर आइए। नेशनल बुक फेयर का आयोजन पहली बार इतने बड़े स्तर पर किया गया है। युवा किताबों को जरूर खरीदें और अपने दोस्तों को गिफ्ट करें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखपुर धार्मिक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और साहित्यिक विरासत से समृद्ध है। गोरखपुर नाम से ही पता लग जाता है कि महायोगी भगवान गोरखनाथ की पावन साधना स्थली है। गोरखपुर भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा की एक महत्वपूर्ण भूमि है। गीता प्रेस के माध्यम से भारत की धार्मिक साहित्य का एक प्रमुख केंद्र भी है। गोरखपुर के पास ही कुशीनगर भगवान बुद्ध की महानिर्वाण स्थली तथा सूफी संत कबीरदास की महानिर्वाण निर्वाण स्थली मगहर भी है। अपनी लेखनी के माध्यम से कथा सम्राट के रूप में विख्यात मुंशी प्रेमचंद ने गोरखपुर को अपनी कर्मस्थली बनाया था। गोरखपुर फिराक गोरखपुर की जन्मभूमि है तो वैश्विक मंच पर भारत की आध्यात्मिक विरासत को स्थापित करने वाले योगानंद परमहंस ने भी इसी गोरखपुर में जन्म लिया था।
उन्होंने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश हुकूमत की चूलों को हिलाने वाले शहीद बंधु सिंह की जन्म और कर्म भूमि भी गोरखपुर है। इसी गोरखपुर की जेल में काकोरी ट्रेन एक्शन के नायक अमर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी की सजा दी गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विरासत से संपन्न गोरखपुर आज विकास के भी नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। सरकार विकास करा रही है, उस विकास की यात्रा के साथ सहभागी बनना हम सबका दायित्व बनता है।
गोरखपुर महोत्सव के मुख्य मंच से सीएम योगी ने पांच विभूतियों को गोरखपुर रत्न से सम्मानित किया। कला के क्षेत्र में वरिष्ठ रंगकर्मी केसी सेन, कृषि-उद्यमिता के क्षेत्र में प्रगतिशील किसान और शहद उत्पादक राजू सिंह, खेल के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी शगुन कुमारी, चिकित्सा के क्षेत्र में वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. बी. बी. त्रिपाठी और विज्ञान के क्षेत्र में डॉ. साहिल महफूज को गोरखपुर रत्न सम्मान प्राप्त हुआ।