रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में ग्लोबल टू लोकल पर्सपेक्टिव पर वेब कॉन्फ्रेंस का सफल आयोजन

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भोपाल : 14 अप्रैल/ रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, रायसेन (मध्य प्रदेश) एवं कवि कुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक (महाराष्ट्र) के संयुक्त तत्वावधान में “इंटरनेशनल वेब कॉन्फ्रेंस ऑन इंट्रीग्रेटिंग स्किल इनटू यूनिवर्सिटी करीकुलम : ग्लोबल टू लोकल पर्सपेक्टिव” विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेब कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। यह आयोजन हाल ही में दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य हुए समझौता ज्ञापन (MOU) के अंतर्गत संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की संयोजक डॉ. किरण मिश्रा ने बताया कि सम्मेलन में उजबेकिस्तान, ओमान, समरकंद, भारत सहित विभिन्न देशों से कुल 250 शोध पत्र प्राप्त हुए, जिनमें से 125 शोध पत्रों का चयन किया गया। सम्मेलन की रूपरेखा डॉ. ब्रजेश कुमार शर्मा, विभागाध्यक्ष, शिक्षा विभाग, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने प्रस्तुत की।

उद्घाटन सत्र में डॉ. अदिति चतुर्वेदी, प्रति कुलाधिपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने वैश्विक दृष्टिकोण को साझा करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों को नए विचारों से अवगत कराते हैं। वहीं डॉ. संजीव कुमार गुप्ता, प्रति कुलपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने कहा कि कौशल विकास से संबंधित यह सम्मेलन छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहायक सिद्ध होगा। डॉ. संगीता जौहरी, कुलसचिव ने सम्मेलन को नई पीढ़ी के लिए सीखने का एक सशक्त मंच बताया।

प्रो. हरे राम त्रिपाठी, प्रति कुलपति, कवि कुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय ने कौशल आधारित शिक्षा को आज के समय की आवश्यकता बताया और इस प्रकार के सम्मेलन को विचारों के आदान-प्रदान का अंतरराष्ट्रीय मंच कहा।

प्रथम दिवस के मुख्य वक्ता डॉ. एबेक कालेन्द्रोव (मामून विश्वविद्यालय, उजबेकिस्तान) ने भाषा की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रभावी संचार के लिए भाषा कौशल अत्यंत आवश्यक है। डॉ. कल्याण चतुर्वेदी (मामून विश्वविद्यालय) ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रम में कौशल को एकीकृत करना समय की मांग है। पहले दिन 50 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। डॉ. नीलेश शर्मा, डीन, विधि विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

द्वितीय दिवस के मुख्य वक्ता डॉ. अनिल कुमार (निर्देशक, कवि कुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय) ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को उद्यमिता एवं रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रमों पर अधिक बल देना चाहिए। मुख्य अतिथि प्रो. राजदापोवा फरूजा अबदुल्लाऐवना (उर्जेन्च) ने एक्सीलेंस को प्रोत्साहन देने की बात कही। द्वितीय दिवस में 75 शोध पत्र प्रस्तुत हुए।

सम्मेलन का संचालन डॉ. नाईस जमीर (विभागाध्यक्ष, विधि विभाग) एवं समन्वय डॉ. रेखा गुप्ता (प्रोफेसर, शिक्षा विभाग) ने किया। समापन सत्र में डॉ. पूजा चतुर्वेदी, उप कुलसचिव (अकादमिक) ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 180 से अधिक विद्वानों एवं शोधार्थियों ने सहभागिता की साथ ही विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने भी सहभागिता की।