वक्फ के नाम पर इस्लामी जिहादी ताकतों को भड़काने की कोशिश कर रहा विपक्ष : विनोद बंसल

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नई दिल्ली, 16 अप्रैल (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर हुई सुनवाई पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल की प्रतिक्रिया आई। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष इस्लामी जिहादी ताकतों को भड़काने की कोशिश कर रहा है।

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किए बिना ही विपक्ष पूरे देश में इस्लामी जिहादी ताकतों को गुमराह करने और भड़काने की कोशिश कर रहा है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मुर्शिदाबाद को हिंदुओं का ‘मुर्दास्थल’ बनाने की कोशिश हो रही है और जिहादियों की दीदी ममता बनर्जी पिछले कई दिनों से आराम से चैन की नींद सो रही हैं। उन्होंने हिंसा के 8 दिन बाद भी पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त नहीं की, बल्कि इमामों और मौलवियों के सम्मेलन को बुलाया। उन्हें (ममता बनर्जी) हिंदुओं का दर्द दिखाई नहीं दे रहा है।”

उन्होंने आगे कहा, “ममता बनर्जी ने पीड़ितों के लिए कोई हमदर्दी नहीं दिखाई और वह मुसलमानों से अपील कर रही हैं कि हिंसा को रोकें। इसका मतलब साफ है कि कानून-व्यवस्था से उनका पूरा कंट्रोल खत्म हो चुका है और बंगाल का प्रशासन अब इस्लामिक जिहादी तत्व संभालेंगे। ऐसा लगता है कि ममता बनर्जी अब उनको और भी खुली छूट देने वाली हैं।”

विनोद बंसल ने कहा कि ममता बनर्जी को थोड़ा संभलना चाहिए। बंगाल की जनता अब पूरी तरह से समझ रही है कि उनकी मानसिकता क्या है। मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति में डूबने के बाद उन्हें थोड़ी बहुत हिंदुओं की चिंता करनी चाहिए, ताकि उनके जानमाल की सुरक्षा की जा सके। बंगाल की पावन धरती अब लहूलुहान है और उस पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी है।

वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ ने मुस्लिम पक्ष और संशोधन समर्थक दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। सुनवाई के दौरान विभिन्न संशोधित धाराओं, जैसे धारा 3, 9, 14, 36 और 83 पर विशेष चर्चा हुई।

मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि इन संशोधनों से उनके संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन हुआ है। उनका कहना था कि संशोधन उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करता है।