नई दिल्ली, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष बुधवार को दारुल उलूम देवबंद के विद्वानों ने अपनी राय रखी।
कार्यकाल विस्तार के बाद जेपीसी की पहली बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा, “दारुल उलूम देवबंद 150 साल पुराना है। वहां से देश ही नहीं पूरी दुनिया में इस्लामिक विद्वान निकले थे। आज उनके (प्रिंसिपल) मौलाना अरशद मदनी और कुलपति (मौलानी मुफ्ती अबुल कासिम) नोमानी आए थे। प्रस्तावित विधेयक पर हमने उनकी राय ली है।”
जगदंबिका पाल ने बताया कि दोनों विद्वानों ने लिखित में भी अपने सुझाव दिए हैं और जेपीसी के सदस्यों के वक्फ के बारे में समझाया भी है।
बैठक से पहले जेपीसी अध्यक्ष ने आईएएनएस से कहा था कि समिति ज्यादा से ज्यादा हितधारकों के साथ बातचीत करेगी। हम उन राज्यों को भी बुलाएंगे जहां वक्फ और राज्य सरकार के बीच विवाद है। सच्चर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट के चैप्टर 11 के पेज नंबर 221-222 पर उल्लेख किया था कि सीओ वक्फ बोर्ड की सूचना के अनुसार, दिल्ली में 100 से ज्यादा वक्फ संपत्तियां, उत्तर प्रदेश में 60 और राजस्थान में 45 वक्फ संपत्तियां हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश और ओडिशा में भी वक्फ संपत्तियां हैं।
उन्होंने कहा कि उन छह राज्यों के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिवों को भी बुलाया जाएगा क्योंकि अगर सच्चर कमेटी में इसका उल्लेख किया गया है, तो उन राज्यों को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या ये संपत्तियां राज्य सरकार की हैं या वक्फ की। हम रिपोर्ट में इसे शामिल करने के लिए यह जानकारी इकट्ठा करना चाहते हैं।
जगदंबिका पाल ने कहा कि जेपीसी उन राज्यों को भी बुलाएगी और दिल्ली में 123 संपत्तियों के संबंध में भी चर्चा करेगी। इसके अलावा, हम कोलकाता, पटना और लखनऊ जैसे प्रमुख शहरों में भी जाएंगे, जहां हम उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों के वक्फ बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग और राज्य सरकार के अधिकारियों से तथा अन्य हितधारकों से बात करेंगे। फिर संसद के बजट सत्र में हम अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे।