भोपाल : 18 फरवरी/ कहानी और कविता पर केंद्रित भव्य समागम 19 फरवरी से शुरू होने जा रहा है। कला, साहित्य एवं संस्कृति के लिये समर्पित वनमाली सृजनपीठ द्वारा वनमाली जी के शिष्य एवं प्रखर कवि, आलोचक, अनुवादक, पत्रकार विष्णु खरे की स्मृति में राष्ट्रीय कविता सम्मानों की घोषणा की गई है। तीन दिवसीय वनमाली कथा समय एवं राष्ट्रीय विष्णु खरे कविता सम्मान समारोह रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय एवं स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी में होगा। चार अलग-अलग श्रेणियों में रचनाकारों को सम्मानित किया जायेगा। विष्णु खरे आलोचना सम्मान से वरिष्ठ आलोचक, कवि, अनुवादक नंदकिशोर आचार्य (बीकानेर), विष्णु खरे अनुवाद सम्मान से वरिष्ठ अनुवादक ए. अरविंदाक्षन (केरल), विष्णु खरे कविता सम्मान से सुप्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, अनुवादक एवं आलोचक लीलाधर मंडलोई (नई दिल्ली) तथा विष्णु खरे युवा कविता सम्मान से युवा कवियत्री सुश्री पार्वती तिर्की (झारखंड) को सम्मानित किया जायेगा।
वनमाली कथा समय एवं विष्णु खरे कविता सम्मान समारोह दिनांक 19 से 21 फरवरी-2025 को भोपाल में आयोजित किया जायेगा। दिनांक 19 एवं 20 फरवरी, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में ‘कथा समय’ का एवं 21 फरवरी को विष्णु खरे कविता सम्मान का आयोजन स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय भोपाल के वनमाली सभागार में आयोजित किया जायेगा। इसमें पहले दिन “समकालीन साहित्यिक पत्रकारिता का परिदृश्य और वनमाली कथा”, “परिचर्चा : मलयालम में हिंदी के रचनाकार” विषयों पर सत्रों का आयोजन होगा। इसके अलावा संतोष चौबे की कहानी “लेखक बनाने वाले” की नाट्य प्रस्तुति टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्रों द्वारा दी जाएगी। इस दौरान वनमाली कथा प्रतियोगिता विशेषांक लोकार्पण, वनमाली कथा प्रतियोगिता के विजेता रचनाकारों का सम्मान, लता अग्रवाल की पुस्तक “वनमाली जी की कहानियों से गुजरते हुए” का लोकार्पण, “वनमाली – एक कृति व्यक्तित्व” तथा “हिंदी के अपराजेय कवि विष्णु खरे” पुस्तक का लोकार्पण होगा।
समारोह के दूसरे दिन के कार्यक्रमों में कहानी पाठ एवं संगोष्ठी का आयोजन होगा। संगोष्ठी का विषय “कृत्रिम बुद्धिमत्ता के परिपार्श्व में कहानी का भविष्य” है। वहीं तीसरे दिन “राष्ट्रीय विष्णु खरे सम्मान समारोह का आयोजन होगा” जिसमें चयनित रचनाकारों का सम्मान होगा। इस समारोह का संचालन टैगोर विश्व कला और संस्कृति केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय करेंगे।इस अवसर पर “विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलम्पियाड–2025” का पोस्टर रिलीज किया जाएगा। शाम के सत्र में “… और नाज मैं किस पर करूं” की नाट्य प्रस्तुति होगी जो कि विष्णु खरे की कविताओं पर आधारित है।
सम्मान समारोह में पुरस्कृत रचनाकारों के साथ देश के ख्यात साहित्यकार ममता कालिया (नई दिल्ली), अरुण कमल (पटना), अखिलेश (लखनऊ), जितेन्द्र श्रीवास्तव (दिल्ली), ओमा शर्मा (मुंबई), मनीषा कुलश्रेष्ठ (जयपुर), महेश दर्पण, प्रकाश मनु, देवी प्रसाद मिश्र (नई दिल्ली), नीलेश रघुवंशी, मुकेश वर्मा, संतोष चौबे (भोपाल), महेश वर्मा, रामकुमार तिवारी (छत्तीसगढ़) तथा 100 से अधिक वनमाली सृजन केन्द्रों के संयोजक भाग लेंगे। भोपाल तथा मध्यप्रदेश के भी अनेक साहित्यकार विभिन्न सत्रों में उपस्थित रहेंगे।
पुरस्कृत रचनाकारों का परिचय
लीलाधर मंडलोई
लीलाधर मंडलोई मूलत: कवि है उनकी कविताओं में छत्तीसगढ़ की बोली की मिठास ओर वहाँ के जनजीवन का सजीव चित्रण है। कविता के अलावा लोककथा, लोकगीत, यात्रा वृत्तांत, डायरी, मीडिया, पत्रकारिता तथा आलोचना लेखक की ओर प्रवृत्त है। घर-घर घूमा, रात-बिरात, मगर एक आवाज देखा- अदेखा ये बदमाशी तो होगी, देखा पहली दफा अदेखा, उपस्थित है, समुद्र (कविता संग्रह) एवं अंडमान-निकोबार भी लोककथाएँ , चाँद का धब्बा, पेड़ भी चलते है आदि अनेक पुस्तकें प्रकाशित। साहित्यक अवदान के लिये प्रतिष्ठत पुश्किन सम्मान नार्गाजुन सम्मान, रज़ा सम्मान वागीश्वरी सम्मान एवं रामविलास शर्मा सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है ।
नंदकिशोर आचार्य
प्रख्यात आलोचक नंदकिशोर आचार्य मूलत: आलोचक है । आलोचना के अलावा कविता, नाट्य, शिक्षा-सभ्यता संस्कृति विषयक विमर्श और संपादन के क्षेत्र में अपना रचनात्मक योगदान दिया है । नंदकिशोर आचार्य के 12 – कविता संग्रह, 8 – नाट्क,7 – आलोचना कृति और 12 सामाजिक-दर्शन संबंधी पुस्तकें प्रकाशित है । ब्राडस्की, लोर्का और आधुनिक अरबी कविताओं सहित अनेकों दूसरी भाषाओं की श्रेष्ठ कविताओं के अनुवाद किये है । आपको ‘मीरा-पुरस्कार’, ‘बिहारी पुरस्कार’, ‘भुवनेश्वर पुरस्कार’, ‘संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार’ सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार, साहित्य अकादेमी, पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया है ।
ए. अरविन्दाक्षन
वरिष्ठ साहित्यकार एवं अनुवादक प्रो. ए. अरविन्दाक्षन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा में पूर्व कुलपति भी रहे है वे हमारे समय के महत्वपूर्ण आलोचक साहित्यकार और अनुवादक है । राग लीलावती, असंख्य ध्वनियों के बीच, भरापूरा घर, पतझड़ का इतिहास, राम की यात्रा, प्रार्थना एक नदी है आदि प्रतिनिधि कविताएँ है । साथ ही हिन्दी में बीस आलोचना की पुस्तकों के साथ, मलयालम में पाँच आलोचना की पुस्तकें, एक उपन्यास, पन्द्रह अनूदित पुस्तकों, तेइस सम्पादित पुस्तकें अग्रेंजी में दो पुस्तकें आदि है। ए. अरविन्दाक्षन को बीस राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, साहित्य वाचस्पति उपाधि सहित अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं ।
डॉ. पार्वती तिर्की
डॉ. पार्वती तिर्की युवा कवियत्री है। उनका पहला काव्य संग्रह आदिवासी जीवन संस्कृति लोककथाओं और लोक जीवन से जुड़ा है। कविता और लोकगीतों में उनकी विशेष अभिरुचि है। ‘फिर उगना’ कविता संग्रह है । कविताओं के साथ-साथ कहानियाँ भी लिखती है । ‘गिदनी’ वागार्थ में प्रकाशित हुई। अन्य पत्रिकाएँ जैसे इन्द्रधनुष, सदानीरा, समकालीन, जनमत, हिन्दवी, प्रगतिशील हाँक और पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित हुई ।
वनमाली सृजनपीठ
सुप्रतिष्ठित कथाकार, शिक्षाविद तथा विचारक स्व.जगन्नाथ प्रसाद चौबे ‘वनमाली’ के रचनात्मक योगदान और स्मृति को वनमाली सृजनपीठ एक साहित्यिक, सास्कृतिक तथा रचनाधर्मी प्रतिष्ठान है, जो परम्परा तथा आधुनिक आग्रहों के बीच संवाद एवं विमर्श हेतु सतत् सक्रिय है। साहित्य तथा कलाओं की विभिन्न विधाओं में हो रही सर्जना को प्रस्तुत करने के साथ ही उसके प्रति लोकरुचि का सम्मानजनक परिवेश निर्मित करना भी पीठ के दायित्वों में शामिल है। इस आकांक्षा के चलते रचनाधर्मियों में चर्चा और विचार-विमर्श के अलावा यह सृजनपीठ शोध, अन्वेषण, अध्ययन तथा लेखन के लिए नवोन्मेषी प्रयासों तथा सृजनशील प्रतिभाओं को चिह्नित करने और उन्हें अभिव्यक्ति के यथासम्भव अवसर उपलब्ध कराने का काम भी करती है। बहुकला का आदर और समावेशी रचनात्मक आचरण हमारी गतिशीलता के अभीष्ट है।
राष्ट्रीय वनमाली सृजनपीठ द्वारा ‘वनमाली कथा सम्मान’ जनतान्त्रिक एवं मानवीय मूल्यों का संधान कर साहित्य में उसकी पुनः प्रतिष्ठा करने एवं उसे समुचित महत्त्व प्रदान करने वाले रचनाकारों को प्रदान किया जाता है। इस सम्मान से अब तक सर्वश्री ममता कालिया, चित्रा मुद्गल, स्वयं प्रकाश, असगर वज़ाहत, उदय प्रकाश, प्रभु जोशी, शशांक, मुकेश वर्मा, अखिलेश, प्रियंवद, गीतांजलिश्री, मनोज रूपड़ा, मोहम्मद आरिफ, अल्पना मिश्र, आनंद हर्षुल, मनीषा कुलश्रेष्ठ, मनोज पांडेय, चंदन पांडेय आदि रचनाकारों को अलंकृत किया गया है ।
वर्ष 2025 में सृजन पीठ द्वारा वनमाली जी के शिष्य रहे प्रखर कवि, आलोचक विष्णु खरे की स्मृति में राष्ट्रीय कविता पुरस्कारों की स्थापना भी की गई है।