वाराणसी, 11 मार्च (आईएएनएस)। काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर हर वर्ष की तरह इस बार भी रंगभरी एकादशी के दिन चिता भस्म की होली का आयोजन धूमधाम से किया गया।
हजारों की संख्या में काशीवासी इस परंपरागत और अद्वितीय होली उत्सव में शामिल हुए। घाट पर चिता की राख से होली खेलने की यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है, जो काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बन चुकी है।
इस वर्ष भी काशीवासियों ने महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर एकत्र होकर चिता भस्म से होली खेली। हजारों लोग घाट पर जमा होकर इस अद्भुत होली उत्सव का हिस्सा बने। इस दौरान काशी के लोग न केवल चिता भस्म से होली खेला, बल्कि एक-दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर रंगों के त्यौहार में हिस्सा लिए।
मणिकर्णिका घाट पर होली खेलना श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। लोग यहां आकर चिता की राख से रंग खेलते हैं, जो मृत्यु और जीवन के चक्र का प्रतीक है। चिता भस्म की होली में शामिल होने के लिए काशीवासियों का उत्साह साफ देखा जा रहा था।
यह होली सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि जीवन के अस्तित्व और मृत्यु का उत्सव माना जाता है। काशीवासियों का मानना है कि इस दिन चिता की राख से होली खेलकर वे मृत्यु से पार होने का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म की होली हर साल इस समय काशीवासियों के जीवन में एक नई उमंग और ऊर्जा लेकर आती है, जो सदियों से चली आ रही इस परंपरा को जीवित रखे हुए है।