वाराणसी, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। दीपावली के मौके पर काशी में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करने वाली एक अनूठी तस्वीर देखने को मिली। वाराणसी के लमही स्थित सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फेडरेशन के बैनर तले दीपावली के अवसर पर प्रभु श्री राम की आरती उतारी गई। इस विशेष आयोजन में मुस्लिम महिलाओं ने राम भजन और आरती गाकर भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश की।
साल 2006 से वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं द्वारा दीपावली के मौके पर प्रभु श्री राम की आरती उतारी जा रही है। इस बार की आरती खास रूप से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि अयोध्या में 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद प्रभु श्री राम अपने भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं। मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति प्रभु श्री राम को अपना पूर्वज मानता है और इसी वजह से वे भी राम की आरती उतारती हैं।
इस दौरान, महिलाएं परंपरागत कपड़ों में सजी-धजी हुई थीं और उन्होंने हर्ष और उल्लास के साथ आरती का आयोजन किया। आयोजन में शामिल महिलाओं ने कहा कि यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह आपसी भाईचारे और सद्भावना का प्रतीक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे का सम्मान करें और सांस्कृतिक एकता को बनाए रखें।
पीठाधीश्वर पातालपुरी मठ महंत बालक दास ने कहा कि जिस प्रकार भगवान राम का भव्य मंदिर बना है और वहां लाखों दीपों से उत्सव मनाया जा रहा है, उसी प्रकार आज काशी भी दीपावली के पावन उत्सव में डूबी हुई है। हर दीपावली को मुस्लिम महिलाएं भगवान राम की आरती उतारती हैं और यह संदेश देती हैं कि भगवान राम हमारे पूर्वज हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जब हम राम जी के मार्ग पर चलेंगे, तो निश्चित रूप से कट्टरता कम होगी, मानवता बढ़ेगी, भाईचारा और सौहार्द बढ़ेगा, और शांति स्थापित होगी। आज जब दूसरे देशों में गृह युद्ध और संघर्ष हो रहे हैं, तब हमें राम के पदचिह्नों पर चलने की आवश्यकता है। भारत में आज शांति का वातावरण है और मुझे लगता है कि कट्टरपंथियों को समझना चाहिए कि हमें मानवता का पाठ पढ़ना चाहिए और कट्टरता को समाप्त करके देश को शांत रखना चाहिए।
बीएचयू के प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि साल 2006 में संकट मोचन में बम ब्लास्ट ने आतंकवादियों के प्रयास को उजागर किया कि हिन्दू और मुसलमानों के बीच फूट डालने की कोशिश की जा सकती है। उस समय से मुस्लिम महिलाएं श्रीराम की आरती करती आ रही हैं, जो हिन्दू और मुसलमानों को मिलाने, जोड़ने और प्रेम-शांति स्थापित करने का अद्भुत प्रयास है। आज पूरी दुनिया संघर्ष के रास्ते पर है, और ऐसे में यह मुस्लिम महिलाओं का प्रयास है कि वे भारत की सांस्कृतिक आत्मा, भगवान श्री राम के मूल चरित्र पर चलें।
उन्होंने आगे कहा कि यह प्रयास इस दिशा में है कि हिन्दू और मुसलमानों के दिलों को जोड़ा जा सके और यह संदेश दिया जा सके कि सबके पूर्वज भगवान श्रीराम हैं। उन्होंने आगे कहा कि काशी से सुभाष भवन से यह स्पष्ट संदेश पूरे विश्व को जा रहा है कि अगर आप अपने देश में शांति चाहते हैं और नागरिकों का अनुशासन चाहते हैं, तो आपको राम जी के रास्ते पर चलना होगा। रामराज्य की स्थापना के लिए राम की भक्ति करनी होगी।
एक मुस्लिम महिला ने कहा, “आज हम सभी यहां हिन्दू और मुस्लिम बहनें मिलकर मुस्लिम महिला फाउंडेशन के माध्यम से भगवान श्री राम की महाआरती उतार रही हैं। हम पूरे देश और समाज में यही संदेश देना चाहती हैं कि भले ही हमारे धर्म अलग हैं, लेकिन हमारी संस्कृति और सभ्यता एक हैं। प्रभु श्री राम हमारे सभी के पूर्वज हैं, और उन्होंने जो एकता का संदेश दिया, जो अंधकार से उजाले की ओर ले जाने का प्रकाश दिया, वह सराहनीय है। हम सब चाहती हैं कि एक बार फिर से रामराज्य आए, जहां सारी जनता सुखी हो और आपस में मिलजुलकर एक साथ रहे। कई सौ साल का इंतजार खत्म हुआ है, अयोध्या मंदिर भी बन गया है। यह हमारी पहली दीवाली है, और हम इस खुशी को बड़े धूमधाम से मना रही हैं। जैसा कि हमने देखा, अयोध्या में भव्य दीपावली का आयोजन किया गया है, वहां प्रभु श्री राम जी के आगमन की खुशी मनाई जा रही है। हम सभी यहां पर भी बहुत बड़ी खुशी मना रही हैं।”
एक अन्य मुस्लिम महिला ने कहा कि वह बहुत खुश हैं कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार दीपावली मनाई जा रही है। यह वैसा ही है जैसे त्रेता में भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। आज ऐसा लग रहा है कि 550 साल बाद अयोध्या में पुनः उसके राजा लौट आए हैं। सत्रह-अठारह साल से मुस्लिम महिला फाउंडेशन के तहत हम भगवान श्री राम की आरती कर रहे हैं। यह हम सबकी एकजुटता का प्रतीक है, और हम फिर से यह साबित करना चाहते हैं कि मानवता धर्म या जाति में नहीं बंटती। जो भगवान हैं, वे सबके हैं। वे किसी एक व्यक्ति के नहीं हैं, बल्कि पूरे ब्रह्मांड के हैं। वे पूरे विश्व के हैं और भारत में रहने वाले सभी के हैं, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के मानने वाले हों।