विश्वरंग : भारत सहित 35 देश विश्व में हिन्दी और भारत की सांस्कृतिक प्रभुता पर करेंगे मंथन

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भोपाल : 24 जुलाई/ साहित्य-संस्कृति और कला के इन्द्रधनुषी रंगों से सराबोर एशिया का सबसे विराट महोत्सव ‘विश्वरंग’ शीघ्र ही अपना छटवाँ सोपान मॉरीशस में पूरा करने जा रहा है। आगामी 7,8 और 9 अगस्त को भारत सहित दुनिया के पैंतीस से भी ज़्यादा देश हिन्दी का परचम लहराने विश्वमंच पर एक साथ होंगे। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल के साथ विश्वरंग की मुख्य मेजबानी मॉरीशस स्थित विश्व हिन्दी सचिवालय अपने सहयोगी संस्थानों के संयुक्त संयोजन में करेगा। तीन दिनों की बहुरंगी गतिविधियों के साक्षी बनने मॉरीशस गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति श्री पृथ्वीराज सिंह रूपन, प्रधानमंत्री श्री प्रवीण कुमार जगनोथ, उप प्रधानमंत्री श्रीमती लीला देवी दुकन, विश्व हिन्दी सचिवालय की महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे और मॉरीशस उच्चायुक्त श्रीमती नंदिनी के. सिंगला सहित प्रतिभागी देशों की गणमान्य विभूतियों को आमंत्रित किया गया है। इस अवसर पर मॉरीशस स्थित रबीन्द्रनाथ टैगोर संस्थान के मुक्ताकाश परिसर में टैगोर की सात फीट ऊँची प्रतिभा का अनावरण ‘विश्वरंग’ के सौजन्य से किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि किसी भी निजी विश्वविद्यालय द्वारा किया जाने वाला दुनिया का पहला-अनूठा महोत्सव है- ‘विश्वरंग’।

यह जानकारी ‘विश्वरंग’ के निदेशक, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति तथा साहित्यकार-संस्कृतिकर्मी श्री संतोष चौबे ने पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने कहा कि ‘भारतीय संस्कृति, वैश्विक मंच के उद्घोष के साथ 2019 में शुरू हुआ ‘विश्वरंग’ छटवें संस्करण में वैश्विक विस्तार की दिशा में अपना महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है। श्री चौबे ने कहा कि मॉरीशस में इस महोत्सव का होना हिन्दी के प्रसार, समृद्धि और उसके साथ जुड़े रचनात्मक कौशल को प्रोत्साहित करने का नया मंच निर्मित करेगा। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और एशिया महाद्वीपों के लगभग तीस देशों के प्रतिनिधियों की विश्वरंग में आमद निश्चय ही हिन्दी केन्द्रित उद्देश्यों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगी।

‘विश्वरंग’ के सह-निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, वनमाली सृजन पीठ के इकाई अध्यक्ष श्री मुकेश वर्मा, ‘विश्वरंग’ आयोजन समिति के सदस्य श्री बलराम गुमास्ता, प्रवासी भारतीय साहित्य संस्कृति अध्ययन एवं शोध केन्द्र के समन्वयक श्री जवाहर कर्नावट तथा टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र के निदेशक श्री विनय उपाध्याय ने भी प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर ‘विश्वरंग 2024’ पर केन्द्रित बहुरंगी पोस्टर भी जारी किया गया।

विशाल समुद्र तट पर बसे मॉरीशस द्वीप स्थित विश्व हिन्दी सचिवालय, महात्मा गांधी संस्थान और रबीन्द्रनाथ टैगोर संस्थान में ‘विश्वरंग’ की गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। श्री चौबे ने मीडिया प्रतिनिधियों को बताया कि महोत्सव को विचार सत्रों, सांस्कृतिक सभाओं और कार्यशालाओं में समन्वित किया गया है। इस तारतम्य में उन्होंने जोड़ा कि टैगोर विश्व विद्यालय के अंतर्गत स्थापित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी केन्द्र और प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केन्द्र द्वारा विश्व में पहली बार तैयार की गयी 64 देशों की हिन्दी रिपोर्ट तथा 11 देशों की हिन्दी साहित्यिक रचनाधर्मिता पर पुस्तकों का प्रकाशन किया जा रहा है। वहीं वनमाली सृजन पीठ, टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र तथा आईसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित विभिन्न ग्रंथों तथा पत्रिका के विशेषांकों का लोकार्पण भी किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि कला, साहित्य और संस्कृति की बहुआयामी सृजनशील दुनिया को सरोकारों से जोड़ने की मंशा और अभिव्यक्ति के विभिन्न माध्यमों में मानवीय जीवन का बहुरंगी परिवेश को रचने की उत्सवी आकांक्षा है ‘विश्वरंग‘।

प्रवासी इतिहास और संस्कृति पर वैचारिक सत्र

पहले दिन 7 अगस्त को आयोजित होने वाले वैचारिक सत्रों में पूर्व राजनायिक एवं ख्यात लेखक डा. पवन वर्मा से “गिरमिटिया इतिहासः संघर्ष और निर्माण” पर संतोष चौबे संवाद करेंगे। वहीं, भारतीय संस्कृति और भाषाओं के विस्तार में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् की भूमिका पर डॉ. विनय सहस्रबुद्धे पूर्व अध्यक्ष, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् का उद्बोधन होगा।

हिन्दी के विविध आयामों पर संवाद

समानांतर सत्रों में दूसरा एवं तीसरा दिन हिन्दी, साहित्य एवं उसके वैश्विक विस्तार से जुड़े आयामों के विमर्श पर केंद्रित होगा। इसमें देश-विदेश के शिक्षाविद् एवं साहित्यकार “भोजपुरी भाषा एवं साहित्य के विविध आयाम”, “विश्व के देशों में हिन्दीः स्थिति और संभावनाएं (नई पीढ़ी के संदर्भ में)”, “ हिन्दी में विज्ञान लेखनः चुनौतियाँ और संभावनाएं”, “हिन्दी की विश्व चेतना और साहित्य”, “हिन्दी का वैश्विक प्रसार और जनसंचार माध्यम”, “हिन्दी शिक्षण में नवाचार और वैश्विक संदर्भ में प्रौद्योगिकी का प्रयोग”, “हिन्दी फि़ल्में और विश्व हिन्दी प्रसार”, “विश्व हिन्दी साहित्य में नई अभिव्यक्ति”, “विश्वरंग के माध्यम से हिन्दी की उपलब्धियाँ”, “वैश्विक स्तर पर हिन्दी में अनुवादः संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ”, “विश्व में हिन्दीः माध्यम र मानकीकरण (देवनागरी लिपि के विशेष संदर्भ में)”, “कृत्रिम मेधाः हिन्दी और भविष्य की चुनौतियाँ” इत्यादि विषयों पर अपने विचार प्रकट करेंगे। इन विषयों पर संवाद के लिए मनोज श्रीवास्तव (भारत), सुनील कुलकर्णी (भारत), आरती लोकेश (यू.ए.ई.), डॉ. डॉ. कृष्ण कुमार झा (मॉरीशस), डॉ. वीर बहादुर महतो, (नेपाल), दीप्ति अग्रवाल (यू.के.), आशीष कंधवे (म्यांमार), देवेंद्र मेवाड़ी (भारत), मनीष मोहन गोरे, मोहन सगोरिया, कृष्ण कुमार मिश्र (भारत), डॉ. नंदकिशोर आचार्य (भारत), बद्री नारायण, अल्पना मिश्र, (भारत),

रामदेव धुरंधर (मॉरीशस), डॉ. नवीन लोहनी (भारत), ओम थानवी (भारत), प्रियदर्शन (भारत), रमा शर्मा (जापान), शिप्रा शिल्पी (जर्मनी), डॉ. शशिदुखन (मॉरीशस), शालिनी वर्मा (कतर), अपर्णावत्स (ऑस्ट्रेलिया), इन्द्रजीत शर्मा (अमेरिका), डॉ. जवाहर कर्नावट (भारत), डॉ. कुमुद शर्मा (भारत), हिमानी मिश्र (न्यूजीलैंड), विजय मल्होत्रा, बालेंदु दधीच (भारत), वेदप्रकाश सिंह (जापान), अमिताभ सक्सेना (भारत), गुलशन सुखलाल (मॉरीशस), अतिला कोतलावल (श्रीलंका), डॉ. अंजलि चिंतामणि (मॉरीशस), डॉ. निखिता ओबिगाडू (मॉरीशस), नीलेश रघुवंशी (भारत), शुभंकर मिश्र (मॉरीशस), रामकुमार तिवारी (भारत), अरुण कमल (भारत), डॉ. जितेंद्र श्रीवास्तव (भारत), श्री विनय उपाध्याय (भारत), सोन-यन-उ (दक्षिण कोरिया), डॉ. सफर्मो तोलिबी (रूस), रीता कुमार (मुंबई), डॉ. टी.पी. बीहारी (मॉरीशस), जानकी प्रसाद शर्मा (भारत), बालेंदु दधीच (भारत), वेदप्रकाश सिंह (जापान) अलका धनपत (मॉरीशस), डॉ. संजीता वर्मा (नेपाल), डॉ. वी. वेंकटेश्वर राव (भारत), अमिताभ सक्सेना (भारत) शामिल होंगे।

अंतरराष्ट्रीय कविता पाठ

समारोह में पहले दिन अंतरराष्ट्रीय कविता पाठ का आयोजन होगा जिसमें संतोष चौबे, बलराम गुमास्ता, नीलेश रघुवंशी, बद्री नारायण, लीलाधर मंडलोई, सविता भार्गव (भारत), डॉ. हेमराजसुंदर (मॉरीशस), डॉ. वीरसेनजगा सिंह (मॉरीशस), विनीता तिवारी (अमेरिका) शामिल होंगे। अंतरराष्ट्रीय रचनापाठ का आयोजन किया जाएगा जिसमें अंजू घरबरन (मॉरीशस), जय वर्मा (यू.के.), सारिका जैथलिया (इंडोनेशिया), ममता तिवारी (बहरीन), इशिता यादव (नाइजीरिया), अंजु पुरोहित (मलेशिया), पद्मेश गुप्त (यू.के.), डॉ. विनीता चौबे (भारत) जैसे रचनाकार शामिल होंगे। साथ ही आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय कथा पाठ में संतोष चौबे, अखिलेश, आशुतोष, जमुना बीनी (भारत), डॉ. वीरसेन जगासिंह (मॉरीशस) दिव्या माथुर (यू.के.), कल्पनालालजी (मॉरीशस) जैसे साहित्यकार शिरकत करेंगे। टैगोर की चित्रकला पर अशोक भौमिक का व्याख्यान होगा।

विश्वरंग सम्मान और पुस्तकें

समारोह के अंतर्गत ‘विश्वरंग भाषा सम्मान 2024’ प्रदान किए जाएंगे। ये सम्मान विदेशों में हिन्दी के प्रसार तथा नवोन्मेषी प्रकल्पों के लिए प्रदान किया जाता है। इसके अलावा विभिन्न पुस्तकों का लोकार्पण किया जाएगा जिसमें “विदेश में हिन्दी पत्रकारिता”, “विश्व में हिन्दी पुस्तक” एवं ग्यारह देशों के प्रवासी हिन्दी साहित्य, टैगोर की सांस्कृतिक देशना ‘आनंद धारा’ सहित अन्य पुस्तकों का लोकार्पण होगा।

संगीत और नृत्य

लोक, शास्त्रीय तथा सुगम संगीत की मनोहारी प्रस्तुतियाँ हर वर्ष की तरह इस बार भी विश्वरंग में अपनी महक बिखेरेंगी। इसमें मॉरिशस के कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ ही सुप्रसिद्ध कोरियोग्राफर क्षमा मालवीय के निर्देशन में ‘होरी हो ब्रजराज’ ब्रज का होली गीतों की दृश्य-श्रव्य रूपक, जयति चक्रवर्ती द्वारा रबीन्द्र संगीत, सुब्रतो सेन एवं साथी द्वारा बाउल गायन, प्रख्यात लोक गायिका मालिनी अवस्थी द्वारा लोक संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी। इसके अलावा “रसों का गुच्छा” नृत्य नाटिका का प्रस्तुतिकरण भी होगा।