विश्व रंग फाउण्डेशन’ की घोषणा, विश्व हिंदी ओलम्पियाड’ में जुड़ेंगे एक करोड़ लोग – संतोष चौबे

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नई दिल्ली : 16 अक्टूबर/ साहित्य अकादमी, नईदिल्ली के सभागार रवीन्द्र भवन में विश्वरंग एवं वनमाली सृजन पीठ, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में “विश्व रंग : अवलोकन और भविष्य दृष्टि” विषय पर ‘विश्वरंग विमर्श : राष्ट्रीय संगोष्ठी’ का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिल्ली एन.सी.आर. के सैकड़ों वरिष्ठ और युवा रचनाकारों सहित कई देशों के प्रवासी साहित्यकारों ने रचनात्मक भागीदारी की। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया गया।

विश्व रंग फाउण्डेशन की घोषणा

इस अवसर पर वरिष्ठ कवि– कथाकार, विश्व रंग के निदेशक एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे ने कहा कि वैश्विक स्तर पर विश्व रंग की रचनात्मक गतिविधियों के व्यापक फलक को दृष्टिगत रखते हुए ‘विश्व रंग फाउण्डेशन’ का गठन कर लिया गया है। इसका मुख्य कार्यालय दिल्ली में होगा। ‘विश्व रंग फाउण्डेशन’ के माध्यम से वैश्विक स्तर पर साहित्य, कला, संस्कृति, भाषा शिक्षण का कार्य व्यापक रूप से संपादित किया जाएगा।

वैश्विक स्तर होगा ‘हिंदी ओलम्पियाड का भव्य आयोजन

श्री संतोष चौबे ने आगे कहा कि विश्व रंग के अंतर्गत 50 से अधिक देशों में ‘हिंदी ओलम्पियाड’ का आयोजन किया जाएगा। इसमें विभिन्न स्तर पर कहानी, कविता, गीत, कथेतर गद्य, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, खेती की नई तकनीक, विज्ञान लेखन, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास, आर्टिफिशियल इंटलीजेंस जैसे विषयों पर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।

अफ्रो–एशिया अंतरराष्ट्रीय विश्व रंग सम्मान की घोषणा

विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे ने इस अवसर पर घोषणा करते हुए कहा कि विश्व रंग 2025 से ‘शिक्षा, साहित्य, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर कार्य करने वाली शख्सियत को ‘अफ्रो–एशिया अंतरराष्ट्रीय विश्व रंग सम्मान’ से अलंकृत किया जाएगा।

‘विश्व में हिंदी’ पुस्तक का लोकार्पण

राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान ‘विश्व में हिंदी’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया, जिसमें 65 देशों में हिंदी की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक हिंदी के भविष्य की एक स्पष्ट तस्वीर पेश करती है।

राष्ट्रीय संगोष्ठी की झलकियाँ

राष्ट्रीय संगोष्ठी का पहला सत्र “विश्वरंग: साहित्य/संस्कृति में भविष्य दृष्टि” विषय पर केंद्रित रहा। इस सत्र में विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे, सह-निदेशक श्री लीलाधर मंडलोई, डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा, प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव और श्री उमाशंकर चौधरी जैसे प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने अपने विचार व्यक्त किए। सत्र की अध्यक्षता विनोद तिवारी और मुकेश वर्मा ने की। इस अवसर पर श्री लीलाधर मंडलोई ने “विश्वरंग साहित्य यात्रा”, डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा ने “भारतीय भाषाओं का साहित्य, आयोजन और अनुवाद की आवश्यकता”, उमाशंकर चौधरी ने “पत्रिकाओं का सामाजिक महत्व” और जितेंद्र श्रीवास्तव ने “प्रकाशन पहल” पर अपने विचार प्रस्तुत किए। सत्र का संचालन युवा रचनाकार प्रांजल धर ने किया। इस सत्र के दौरान ‘विश्वरंग की यात्रा’ पर आधारित एक विशेष फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। इस अवसर पर ‘वनमाली कथा’ पत्रिका के ताजा अंक का लोकार्पण किया गया।

कलाओं का पुनर्वास

दूसरे सत्र में “विश्वरंग में कलाओं का पुनर्वास” पर चर्चा हुई, जिसमें विनोद भारद्वाज ने चित्रकला पर, रवींद्र त्रिपाठी ने “रूपंकर कलाएं” और देवेंद्र राज अंकुर ने “नाटक एवं नाट्य कलाओं” पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस सत्र की अध्यक्षता अशोक भौमिक और देवेंद्र राज अंकुर ने की, जबकि संचालन वनमाली कथा के संपादक कुणाल सिंह ने किया। इस दौरान कला पर केंद्रित एक फिल्म का भी प्रदर्शन किया

आदिवासी और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

तीसरे सत्र में महादेव टोप्पो, वीणा सिन्हा, देवेंद्र चौबे और लीलाधर मंडलोई ने “आदिवासी संस्कृति”, “सृजनात्मक इतिहास” और “पुरातात्विक महत्व” जैसे विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।

विश्वरंग: विश्व में हिंदी का उन्मेष और प्रसार

विश्व में हिंदी का उन्मेष और प्रसार” रहा, जिसमें प्रमुख वक्ताओं में डॉ. मनीष चौधरी, अल्पना मिश्र, विजय कुमार मल्होत्रा, बालेंदु दाधीच, दिव्या माथुर ने हिंदी के वैश्विक प्रसार पर विचार साझा किए। इस सत्र की अध्यक्षता संतोष चौबे और बलराम गुमास्ता ने की। कार्यक्रम के दौरान “विश्वरंग मॉरीशस” पर केंद्रित एक विशेष फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर ‘विश्व में हिंदी’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया।