गुवाहाटी : 24 दिसंबर/ पूर्वोत्तर राज्यों में वनमाली सृजन केन्द्रों के की स्थापना के लिए गुवाहाटी (आसाम) में वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय बैठक का आयोजन किया गया।
यह महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बैठक श्री अरविंद चतुर्वेदी, कुलाधिपति, आईसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग (झारखंड), सुश्री ज्योति रघुवंशी, राष्ट्रीय संयोजक वनमाली सृजन पीठ, जमुना बीनी, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजीव गांधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश), प्रोफेसर सुनील शर्मा, विभाग अध्यक्ष (हिंदी), मिजोरम सेंट्रल यूनिवर्सिटी, आइजोल (मिजोरम), श्री सुशील चौधरी, सचिव, मेघालय राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, शिलांग (मेघालय) श्री अभिनय तुलसी, असमिया कवि गुवाहाटी (आसाम) सुश्री लुत्फा सेमिला बेगम, असमिया कवियत्री गुवाहाटी (आसाम) श्री अमर बानिया लोहारो, साहित्यकार गंगटोक (सिक्किम), सुश्री प्रनीति तालुकदार, राष्ट्रीय साहित्य परिषद गुवाहाटी (आसाम), सुश्री चंदना शर्मा, सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर प्राग ज्योतिष कॉलेज, गुवाहाटी (आसाम) की रचनात्मक उपस्थिति में आयोजित की गई।
इस अवसर पर श्री संतोष चौबे ने वनमाली सृजन पीठ के विषय में विस्तार से बताते हुए कहा कि सुप्रसिद्ध कथाकार शिक्षाविद् तथा विचारक जगन्नाथ प्रसाद चौबे ‘वनमाली जी’ के रचनात्मक योगदान और स्मृति को समर्पित वनमाली सृजन पीठ एक साहित्यिक, सांस्कृतिक तथा रचनाधर्मी अनुष्ठान है, जो विगत तीस वर्षों से परंपरा तथा आधुनिक आग्रहों के बीच संवाद तैयार करने के लिए सतत सक्रिय है। इन तीस वर्षों में वनमाली सृजन पीठ ने अविस्मरणीय सृजन यात्रा तय की है। यह यात्रा अनवरत जारी है।
वनमाली सृजन पीठ हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के विस्तार के लिए लेखनरत साहित्यकारों को विगत तीस वर्षों से प्रतिष्ठित वनमाली राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित कर रहा है। इनमें वनमाली कथाशीर्ष सम्मान, वनमाली राष्ट्रीय कथा सम्मान, वनमाली प्रवासी भारतीय कथा सम्मान, वनमाली विज्ञान कथा सम्मान, वनमाली मध्यप्रदेश कथा सम्मान, वनमाली युवा कथा सम्मान, वनमाली कथा आलोचना सम्मान, वनमाली साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान से अलंकृत किया जाता है।
संपूर्ण भारत में वनमाली सृजन पीठ की स्थापना की संकल्पना के साथ भोपाल (मध्य प्रदेश), बिलासपुर (छत्तीसगढ़), दिल्ली, खंडवा (मध्य प्रदेश), वैशाली (बिहार), हजारीबाग (झारखंड), लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में वनमाली सृजन पीठ की स्थापना की गई हैं। इन राज्यों के सुदूर अँचलों, गाँव–कस्बों में कला, साहित्य, संस्कृति, सामाजिक सरोकारों की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सौ से अधिक वनमाली सृजन केंद्रों की स्थापना की गई है।
इसी श्रृंखला को विस्तारित स्वरूप प्रदान करते हुए आप सभी के सहयोग से उत्तर-पूर्वी राज्यों – आसाम, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल में वनमाली सृजन केन्द्रों की स्थापना गई है। वनमाली सृजन केन्द्र इस दिशा में सेतु का कार्य करेंगे।
इस अवसर पर आपने विश्व रंग टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव की अवधारणा को भी विस्तार पूर्वक सभी के समक्ष रखा।
बैठक के प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए वनमाली सृजन पीठ की राष्ट्रीय संयोजक सुश्री ज्योति रघुवंशी ने वनमाली सृजन पीठ एवं वनमाली सृजन केन्द्रों की रचनात्मक गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कथादेश, कथा मध्यप्रदेश, कथा भोपाल, विज्ञान कथा कोश, विज्ञान कविता कोश तथा आईसेक्ट पब्लिकेशन के विभिन्न प्रकाशनों के बारे में बताया। अनुवाद परियोजना और रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट केन्द्रों की गतिविधियों से भी परिचय कराया।
सुश्री जमुना बीनी (अरुणाचल प्रदेश) ने पूर्वोत्तर राज्यों में वनमाली सृजन केन्द्रों की स्थापना का स्वागत करते हुए विश्व रंग में अपनी रचनात्मक भागीदारी और अनुभवों को साझा किया। उन्होंने पूर्वोत्तर की भाषाओं में लिखे जा रहे साहित्य के हिंदी में अनुवाद और हिंदी में लिखे जा रहे साहित्य के पूर्वोत्तर की भाषाओं में अनुवाद की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री सुशील चौधरी (मेघालय) ने राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, शिलांग के द्वारा हिंदी पठन–पाठन की गतिविधियों पर अपने विचार रखते हुए साहित्यिक गतिविधियों में आपसी रचनात्मक सहयोग की बात रखी।
प्रोफेसर सुशील कुमार (मिजोरम) ने पूर्वोत्तर राज्यों में शोध को प्राथमिकता देते हुए उच्च शिक्षा में हिंदी के विस्तार पर जोर दिया।
श्री अमर बानिया लोहारो (सिक्किम) ने कहा कि वनमाली सृजन केंद्र के माध्यम से एक बड़ा मंच हमें साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए मिलेगा। हम विश्व रंग से भी जुड़ेंगे। इससे हमारे यहाँ के रचनाकारों और विद्यार्थियों का बहुत लाभ होगा।
श्री अभिनव तुलसी (आसाम) ने कहा कि वनमाली सृजन केंद्र की अनुवाद परियोजना का लाभ असमिया भाषा के साहित्य के हिंदी भाषा में अनुवाद को मिलना हमारे लिए सार्थक सिद्ध होगा। इस अवसर पर सुश्री लुत्फा सेमिला बेगम, सुश्री प्रणति तालुकदार एवं सुश्री चंदना शर्मा ने वनमाली सृजन केन्द्रों की गतिविधियों से स्थानीय वरिष्ठ रचनाकारों, युवा रचनाकारों और विद्यार्थियों को रचनात्मक रूप से जोड़ने की बात रखी।
इस अवसर पर डॉ. जमुना बीनी को अरुणाचल प्रदेश, सुशील कुमार शर्मा को मिजोरम, श्री अमर बानिया लोहारो को सिक्किम, श्री सुशील चौधरी को मेघालय, श्री इन्द्रनील मुखर्जी को आसाम, श्री निशांत बिजय को पश्चिम बर्दवान, आसनसोल एवं श्री अजीत चतुर्वेदी को कोलकाता (पश्चिम बंगाल) का संयोजक नियुक्त किया गया। इस अवसर पर एक वृहद कार्ययोजना भी बनाई गई जिसके माध्यम से पूर्वोत्तर राज्यों में साहित्य, कला, संस्कृति एवं हिंदी भाषा के विस्तार और प्रचार प्रसार के लिए समावेशी दृष्टिकोण से रचनात्मक कार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा।