सीएम सिद्दारमैया तीन मामलों में भ्रष्‍टाचार में शाम‍िल : केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे

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बेंगलुरू, 19 अक्टूबर(आईएएनएस)। कर्नाटक के भ्रष्टाचार निरोधक निकाय ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) द्वारा भूमि आवंटन से संबंधित कथित घोटाले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस मामले में उनकी पत्नी पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और कथित भूमि मालिक देवराज का नाम शामिल है। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया सहित उनके पूरे परिवार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया क‍ि सीएम ने एक नहीं, तीन मामलों में भ्रष्टाचार किए हैं।

उन्होंने कहा कि सीएम सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पार्वती ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) में 14 साइट्स लीं। उन्होंने उन साइट्स को अवैध तरीके से लिया और फिर उन्हें वापस भी कर दिया। कर्नाटक के सीएम पर तीन तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। पहला आरोप है कि कांग्रेस ने वाल्मीकि विकास निगम का पैसा तेलंगाना चुनाव में खर्च किया। इसमें एक अधिकारी ने आत्महत्या भी कर ली थी। यह सारा पैसा हैदराबाद के एक निजी बैंक में गया।

दूसरा आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जानकारी दी है कि सीएम सिद्धारमैया ने बेंगलुरू टर्फ क्लब के विकास के लिए एक व्यक्ति से गलत तरीके से 1 करोड़ 30 लाख रुपये लिए। उन्होंने चेक के जरिए पैसे लिए। तीसरा आरोप है कि सिद्धारमैया के बेटे खुद मुडा के सदस्य थे। इसी दौरान सिद्धारमैया की पत्नी ने 14 साइट्स हासिल की। सिद्धारमैया ने दबाव डालकर साइट्स हासिल करने में मदद की। फिलहाल जांच चल रही है। मामला हाईकोर्ट में है। मैसूर के डीसी ने रिपोर्ट दी है कि मुडा (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) में एक हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।

उन्होंने कहा कि 14 साइटों को लेना पूरी तरह से गलत है। सिद्धारमैया के परिवार ने हर मामले में गलत किया है। एक हजार करोड़ रुपये के मुडा घोटाले की जांच होनी चाहिए। कर्नाटक के लोग इसकी जांच की मांग करते हैं। ईडी को जांच क्यों नहीं सौंपी जा रही है। इसमें क्या समस्या है? अगर सीएम ने भ्रष्टाचार नहीं किया है, तो वह क्यों डर रहे हैं? जो भी दोषी होगा उसे सजा मिलेगी।

उन्होंने कहा कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) के अध्यक्ष के. मैरीगौड़ा ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि वह सीएम सिद्धारमैया के बहुत करीबी व्यक्ति थे। इसका मतलब है कि सिद्धारमैया ने एक अधिकारी को निलंबित कर दिया। सिद्धारमैया सरकार मुडा घोटाले को छिपाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।