नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया पर मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत हुई एफआईआर को प्रतिशोध की राजनीति बताया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार कर्नाटक की सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है।
दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश और कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मुद्दे पर भाजपा को जमकर घेरा। जयराम रमेश ने कहा कि पिछले दो दिन से कर्नाटक में प्रतिशोध, उत्पीड़न और डराने-धमकाने की राजनीति देखी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी तक कर्नाटक में भाजपा की करारी हार बर्दाश्त नहीं कर पाए हैं। सिद्दारमैया के खिलाफ एफआईआर सिर्फ उन पर नहीं, कर्नाटक की जनता पर आक्रमण है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को बहुमत नहीं दिया और इसी वजह से यह पीएमएलए ले आए। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार आने के पहले दिन से भाजपा कोशिश कर रही है कि कर्नाटक की सरकार को अस्थिर किया जाए। भाजपा प्रतिशोध की राजनीति कर रही है, लेकिन कांग्रेस डरने वाले नहीं है।
वहीं, अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भाजपा द्वारा पीएमएलए का इस्तेमाल कर सीएम सिद्दारमैया को डराने-धमकाने की कोशिश की जा रही है। इसके जरिए भाजपा लोगों को तोड़ने की कोशिश कर रही है। भाजपा का सिर्फ एक उद्देश्य है कि विपक्ष को धमका और डराकर रखा जाए। ईडी के जिन्न को बोतल से बाहर लाना संयोग नहीं है। इसका एकमात्र लक्ष्य कांग्रेस सरकार और सिद्दारमैया को डराना-धमकाना है। ईडी के कुल राजनीतिक मामलों में 95 प्रतिशत केस सिर्फ विपक्ष के खिलाफ हैं। महाराष्ट्र में जिन लोगों ने दलबदल किया और सरकार को तोड़ा, उन सबके केस ठंडे बस्ते में हैं। भाजपा के वाशिंग मशीन वाली ये सूची अखिल भारतीय स्तर पर बढ़ती ही जा रही है। इसी सूची के साथ एक और सूची बढ़ती जा रही है, जिसमें जनादेश के साथ मुख्यमंत्री बने लोगों के खिलाफ काम किया जा रहा है। सिद्दारमैया के मामले में भी पीएमएलए के तहत नई एफआईआर दर्ज हुई।
सिंघवी ने कहा कि वाशिंग मशीन का जुमला पुराना हो गया है। ईडी दरअसल भाजपा का इलेक्शन डिपार्टमेंट है।
सिद्दारमैया के खिलाफ दर्ज मामले को निराधार बताते हुए सिंघवी ने कहा कि उनकी पत्नी को जमीन के एवज़ में प्लॉट 2022 में मिले थे, जब वो विपक्ष के विधायक थे और कर्नाटक में भाजपा की सरकार थी। इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनता ही नहीं है।