भोपाल, 10 नवम्बर 2025: स्कूल ऑफ मीडिया एंड जर्नलिज़्म, स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी (SGSU) एवं – मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज़्म विभाग, रवींद्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी (RNTU) के संयुक्त तत्वावधान में 7 एवं 8 नवम्बर को द्विदिवसीय “डिजिटल कंटेंट क्रिएशन वर्कशॉप” का सफल आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को डिजिटल कंटेंट निर्माण की दुनिया की गहन समझ प्रदान करना था, जिसमें रचनात्मकता, रणनीति और तकनीक के संगम को आधुनिक मीडिया प्रथाओं के संदर्भ में विशेष रूप से रेखांकित किया गया।
इसमें 60 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया — जिनमें पत्रकार, वकील, शेफ़, सेवानिवृत्त प्रोफेशनल्स और विभिन्न संस्थानों के विद्यार्थी शामिल थे।
प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की, प्रश्न पूछे और लाइव डेमो से व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
कार्यशाला के सत्रों में मीडिया, संचार और डिजिटल प्रभाव के विविध क्षेत्रों से पाँच प्रतिष्ठित वक्ताओं के साथ विचारोत्तेजक संवाद हुए, जिन्होंने विद्यार्थियों के साथ अपने व्यावसायिक अनुभव और व्यावहारिक मार्गदर्शन साझा किए।
श्री मयंक तिवारी ने इन्फ्लुएंसर इकॉनमी के तीव्र विकास पर चर्चा की, जो आज अरबों डॉलर का उद्योग बन चुका है। उन्होंने प्रतिभागियों को सलाह दी कि वे अपनी niche (विशिष्टता) पहचानें, सही प्लेटफ़ॉर्म चुनें और ऐसा कंटेंट बनाएं जो दर्शकों के लिए वास्तविक मूल्य जोड़ता हो। उन्होंने रचनात्मक और तकनीकी कौशल के निरंतर विकास तथा ब्रांड्स के साथ सार्थक सहयोग की आवश्यकता पर भी बल दिया।
सुश्री निधि कौशिक ने कंटेंट क्रिएशन में कहानी कहने की कला (Art of Storytelling) पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि “हर व्यक्ति के जीवन में एक कहानी होती है।” उन्होंने dignity in content creation और originality के महत्व पर ज़ोर देते हुए विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे अपनी कला को आत्मनिर्भरता का माध्यम बनाएं और डिजिटल दुनिया में दोहराव से हटकर नई दृष्टि विकसित करें। उन्होंने कहानी में संघर्ष (conflict) उत्पन्न करने की तकनीक पर भी प्रकाश डाला, जिससे दर्शकों की रुचि और गहराई बढ़ती है।
आर.जे. वेद ने यूज़र और क्रिएटर के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि “कंटेंट हमेशा ऑडियंस-केंद्रित होना चाहिए।” उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया कि वे अपने लक्षित दर्शक समूह (target audience) की पहचान करें और ऐसा कंटेंट तैयार करें जो संबंधित, उद्देश्यपूर्ण और भावनात्मक रूप से जुड़ावपूर्ण हो।
श्री विकास अवस्थी ने कहा कि consistency (निरंतरता) सफल कंटेंट निर्माण की कुंजी है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे कंटेंट क्रिएशन को अपने पेशेवर लक्ष्यों से जोड़ें और अपनी unique voice (विशिष्ट अभिव्यक्ति) खोजें। उन्होंने यह प्रेरक प्रश्न रखा — “आपके पास ऐसा क्या है जो आप दूसरों से कहना चाहते हैं?” साथ ही उन्होंने तकनीकी और रचनात्मक पक्षों को सीखने और अनुशासन बनाए रखने पर बल दिया।
डॉ. पूजा बिजलानी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के कंटेंट क्रिएशन में एकीकरण पर अत्यंत ज्ञानवर्धक सत्र लिया। उन्होंने एआई के विकास की यात्रा और इसके रचनात्मक उद्योगों पर परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “मानव रचनात्मकता का कोई विकल्प नहीं है,” और प्रतिभागियों को एआई को प्रतिस्थापन नहीं बल्कि सहायक उपकरण (Supportive Tool) के रूप में उपयोग करने की प्रेरणा दी। उन्होंने RCAS Prompt Strategy (Role, Content, Action, Style) का परिचय कराया, जो सृजनकर्ताओं को एआई की सहायता से प्रभावी, मौलिक और कलात्मक परिणाम तैयार करने में सहायक है।
दो दिवसीय इस कार्यशाला का समापन एक इंटरएक्टिव चर्चा सत्र के साथ हुआ, जिसमें विद्यार्थियों ने अपने अनुभव और सीख साझा किए।
यह आयोजन रचनात्मक दृष्टिकोण, तकनीकी समझ और रणनीतिक संचार का एक अद्भुत संगम रहा, जिसने प्रतिभागियों को बदलते डिजिटल परिदृश्य में आत्मविश्वास और दक्षता के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।


