महाराष्ट्र: पुणे में जीबीएस से दहशत, 11 ने तोड़ा दम

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पुणे, 20 फरवरी (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। अब तक 183 मरीजों में जीबीएस का उपचार किया गया है, जबकि 28 मामले संदिग्ध जीबीएस के हैं।

इस बीमारी के कारण कुल 11 मौतें हो चुकी हैं, जिनमें से 4 मौतों की वजह जीबीएस को बताया जा रहा है, जबकि 7 मौतें संदिग्ध हैं।

इन मरीजों में से 42 मरीज पुणे नगर निगम, 94 मरीज पुणे नगर निगम क्षेत्र के, 32 मरीज पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम, 33 मरीज पुणे ग्रामीण क्षेत्र और 10 अन्य जिलों से हैं।

अब तक 144 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है, जबकि 36 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं और 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।

इससे पहले 12 फरवरी को महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने आईएएनएस से बातचीत की थी।

प्रकाश आबिटकर ने बताया था, “जीबीएस के कारण जब पुणे में मरीज बढ़े थे, तब लोग बहुत परेशान हुए थे। जीबीएस के मरीज काफी पहले से ही महाराष्ट्र में हैं। मरीजों की संख्या में जो लगातार इजाफा हो रहा था, उसे कंट्रोल करने में हम सक्षम हैं। इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है। मुझे लगता है कि इसकी कोरोना से तुलना करने की जरूरत नहीं है।”

उन्होंने कहा था कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से जितने भी मरीज पीड़ित हुए हैं, वे जल्द ही ठीक हुए हैं, जिसके बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है। जीबीएस को लेकर जिस तरह के दावे किए जा रहे थे कि यह कोरोना की तरह फैलेगा, ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ है।

जीबीएस के प्रकोप के बीच 29 जनवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रशासन से मरीजों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में विशेष व्यवस्था करने को कहा था।

वहीं, राज्य स्वास्थ्य विभाग ने सलाह दी कि सामान्य सावधानियां बरतकर जीबीएस को कुछ हद तक रोका जा सकता है, जैसे उबला हुआ या बोतल बंद पानी पीना, खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोना, चिकन और मांस को ठीक से पकाना, कच्चे या अधपके भोजन, विशेष रूप से सलाद, अंडे, कबाब या समुद्री भोजन से परहेज करना।