‘वर्ल्ड मेडिटेट्स विद गुरुदेव’ कार्यक्रम में बना वर्ल्ड रिकॉर्ड, 180 से अधिक देशों के लोगों ने लगाया ध्यान

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बेंगलुरू, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। ‘वर्ल्ड मेडिटेट्स विद गुरुदेव’ इवेंट ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। इस इवेंट ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनियन में अपनी जगह बनाई। इसके साथ ही सफलता के सभी रिकॉर्ड्स भी तोड़ दिए।।

यह अभूतपूर्व आयोजन, आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया और इसने दुनियाभर से लाखों लोगों को एकजुट किया, जिससे सामूहिक ध्यान का नया मापदंड स्थापित हुआ।

पहला ‘वर्ल्ड मेडिटेशन डे’ एक अभूतपूर्व उत्सव के रूप में मनाया गया, जिसमें दुनियाभर से 180 से अधिक देशों के लोगों ने भाग लिया। यह आयोजन आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा ध्यान के वैश्विक आंदोलन को प्रस्तुत करने का एक प्रयास था, जिसमें गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने अपने मार्गदर्शन से लाखों लोगों को ध्यान में सम्मिलित किया। कार्यक्रम की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र से हुई और इसका समापन न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से गुरुदेव के नेतृत्व में लाइव ध्यान सत्र के साथ हुआ।

गुरुदेव के नेतृत्व में हुआ यह ध्यान सत्र लाइव स्ट्रीम किया गया, जिसमें दुनिया भर से लाखों लोग वर्चुअली जुड़े और साथ ही शारीरिक रूप से भी बड़े समूहों में ध्यान करने के लिए एकत्रित हुए। इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्देश्य वैश्विक शांति और सद्भावना के लिए एकजुटता प्रदर्शित करना था।

ध्यान से पहले, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने ध्यान के वास्तविक अर्थ को साझा किया, “ध्यान वह यात्रा है जो विचार से ज्ञान के अनुभव की ओर ले जाती है। ध्यान करने के लिए आपको पहले ज्यादा सोचने से हटकर अनुभव की ओर जाना होता है। फिर आप उस अनुभव से परे, अंतरिक्ष की ओर बढ़ते हैं। यदि आप समझदारी, संवेदनशीलता और समझदारी चाहते हैं, तो आपको ध्यान करना होगा। ध्यान निष्क्रियता नहीं है। यह आपको और अधिक गतिशील और शांत बनाता है। यहां तक कि एक क्रांतिकारी बनने के लिए भी आपको ध्यान करना होगा।”

इस इवेंट ने वैश्विक नेताओं, सेलिब्रिटी, खिलाड़ियों, पेशेवरों और सभी आयु समूहों के लोगों से सराहना प्राप्त की। इस कार्यक्रम में किसानों, शैक्षिक संस्थानों, विशेष रूप से दृष्टिहीन बच्चों के स्कूलों, कॉर्पोरेट्स, सैन्यकर्मियों, स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों, गृहिणियों, आदिवासी समुदायों के सदस्य और यहां तक कि जेलों से भी भागीदारी देखने को मिली। इसने यह साबित कर दिया कि ध्यान का प्रभाव सार्वभौमिक है और सभी वर्गों के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।