भागलपुर, 13 जून (आईएएनएस)। भागलपुर के सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय में गुरुवार से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की शुरुआत हुई।
‘कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए आजादी से अमृत काल तक ग्रामीण विकास की यात्रा’ विषय पर आयोजित सेमिनार का उद्घाटन राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया।
इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन संयुक्त रूप से बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर और एक्सीलेंट विजन फाउंडेशन (ईवीएफ) की ओर से किया गया है। इस सेमिनार में तकनीकी सत्र में देश-विदेश से आए विशेषज्ञ संबंधित विषय पर मंथन कर रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय का मुख्य कार्य अनुसंधान करना है और बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में ऐसा हो भी रहा है। यहां हो रहे अनुसंधान का लाभ कृषि एवं कृषकों को मिलना चाहिए, तभी इसका महत्व है। प्राकृतिक खेती से जमीन की उर्वरा शक्ति एवं कृषि उत्पादकता दोनों में वृद्धि होती है। इस खेती में लागत में लगभग 27.5 प्रतिशत कमी होती है, जबकि उत्पादकता में 52 प्रतिशत की वृद्धि होती है। इससे किसानों की आय को दोगुना करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए कि युवा अपने पैरों पर खड़े हो सकें। उन्हें रोजगार तलाशने के बजाए रोजगार देने वाला बनना चाहिए। कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
इस कार्यक्रम में नई दिल्ली के कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व उप महानिदेशक डॉ. एचपी सिंह, कैन्सास स्टेट यूनिवर्सिटी के निदेशक डॉ. पीबी बारा प्रसाद, त्रिभुवन विश्वविद्यालय के गणित विभाग के प्रोफेसर राजनारायण यादव भी हिस्सा ले रहे हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने कहा कि आजादी के उपरांत हम अन्न के लिए दूसरे देशों पर निर्भर थे। हरित क्रांति और देश में कृषि विश्वविद्यालयों के उपरांत किसानों और वैज्ञानिकों के परिश्रम से आज हम इस स्थिति तक आ चुके हैं कि हम अन्न दूसरे देशों को सप्लाई कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता रामाशीष सिंह ने कहा कि गांव और शहरों का बांटने का कार्य अंग्रेजों ने किया। गांव आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से सदियों से समृद्ध थे। कालांतर में अपनाई गई त्रुटिपूर्ण नीतियों के कारण हम विकास के लिए सिर्फ शहरों की तरफ देखने लगे। आज हमें देश के पर्यावरण और ग्रामीण व्यवस्था को बचाना है।
अमेरिका के कैनसस विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ. पीबी बारा प्रसाद ने बिहार के कृषि योग समृद्ध भूमि का जिक्र करते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने के लिए प्रमुख बिंदुओं को रेखांकित किया।
नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. राजनारायण यादव ने कहा कि बिहार और नेपाल का रोटी-बेटी का संबंध है। बिहार के गांव अगर समृद्ध होते हैं तो निश्चित तौर पर इससे नेपाल भी समृद्ध होगा।