नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। ब्राजील में जी20 देशों के संसदीय स्पीकरों का 10वां सम्मेलन हो रहा है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने इस मौके पर रूस के उच्च सदन फेडरेशन काउंसिल के उपाध्यक्ष कॉन्स्टेंटिन कोशेचेव के साथ द्विपक्षीय बैठक की।
कॉन्स्टेंटिन कोशेचेव के साथ द्विपक्षीय बैठक में हरिवंश ने अन्य बातों के साथ-साथ द्विपक्षीय व्यापार और रक्षा तथा संसदीय सहयोग में भारत और रूस के बीच साझेदारी का उल्लेख किया।
उपसभापति ने दक्षिण अफ्रीकी गणराज्य की नेशनल असेंबली की उपाध्यक्ष एनेलिस लोट्रिएट से भी मुलाकात की और अगले वर्ष दक्षिण अफ्रीका में होने वाले पी20 के सफल आयोजन के लिए भारत के समर्थन की आकांक्षा व्यक्त की।
हरिवंश का ब्राजील के सीनेटरों और कांग्रेस के सदस्यों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इसके अलावा, उन्होंने दक्षिण कोरिया, तुर्की, सिंगापुर, इटली, पुर्तगाल, फ्रांस के प्रतिनिधिमंडलों के नेताओं और आईपीयू के अध्यक्ष और तंजानिया की नेशनल असेंबली की अध्यक्ष तुलिया एक्सन से मुलाकात की।
‘भूख, गरीबी और असमानता के खिलाफ लड़ाई में संसदों का योगदान’ विषय पर एक सत्र को संबोधित करते हुए हरिवंश ने अन्य बातों के साथ-साथ वैश्विक खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए भारत द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों का जिक्र किया। इनमें पीएमजीकेवाई, पोषण अभियान, मातृवंदन योजना, पीएम जन धन योजना, पीएम आवास योजना, स्वच्छ भारत अभियान और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि भारत में अब 96.35 प्रतिशत घरों में खाना पकाने का स्वच्छ ईंधन है। 99.29 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों की पेयजल के बेहतर स्रोतों तक पहुंच है। शत-प्रतिशत घरों में बिजली उपलब्ध है। उन्होंने सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए मानव केंद्रित दृष्टिकोण, सामूहिक प्रयासों और मजबूत कार्रवाई का आह्वान किया।
उन्होंने “सतत विकास को बढ़ावा देने में संसदों की भूमिका” विषय पर दूसरे कार्य सत्र में वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा करते हुए पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में भी बात की। उन्होंने वन संरक्षण अधिनियम, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, बांध सुरक्षा अधिनियम और प्रधानमंत्री के मिशन लाइफ अर्थात् पर्यावरण हेतु जीवनशैली का उल्लेख किया। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि विश्व की 17 प्रतिशत आबादी के बावजूद भारत द्वारा मात्र चार प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। साल 2030 की समय-सीमा से 11 वर्ष पहले भारत ने एनडीसी लक्ष्य हासिल कर लिया है। उन्होंने 100 गीगावाट हरित ऊर्जा क्षमता स्थापित करने, आईएसए, आईआरआईएस और सीडीआरआई जैसी पहलों का भी उल्लेख किया।