लखनऊ, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित ऐतिहासिक केडी. सिंह बाबू स्टेडियम में शनिवार को आयोजित ‘सांसद खेल महाकुंभ’ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कई बातों का जिक्र किया। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार की खेलों और खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने की पहल का स्वागत किया। वहीं, इसे भारत के लिए मील का पत्थर भी करार दिया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से भारत के कई सांसदों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करके समाज के विकास के लिए एक नई राह तैयार की है। आज लखनऊ का नाम भी उस कड़ी में जुड़ गया है। किसी भी समाज के विकास के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि समाज में खेल और खिलाड़ियों के न केवल महत्व को समझा जाए, बल्कि उन्हें फलने-फूलने का पूरा अवसर भी दिया जाए। आज पूरा देश, नेशन फर्स्ट को पहले रखकर खिलाड़ियों की तरह सोच रहा है।
उन्होंने कहा, ”हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य रखा है। भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में हर प्रदेश और देश के हर जिले के प्रत्येक नागरिक की भूमिका है। विकसित भारत के साथ विकसित उत्तर प्रदेश और विकसित लखनऊ का विचार भी सीधा जुड़ा हुआ है। इसलिए, भारत के हर नागरिक को एक लक्ष्य और एक संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि लखनऊ शहर अपनी स्पोर्टिंग कल्चर के लिए केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में जाना जाता था। जिन महान हॉकी खिलाड़ी केडी सिंह बाबू के नाम से यह स्टेडियम जाना जाता है, उन्होंने यहां काफी लंबा समय बिताया। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद ने भी लखनऊ की खेल संस्कृति को संवारा है। उनके बेटे अशोक कुमार और विख्यात ओलंपियन जमन लाल शर्मा की यह कर्म भूमि रही है। भारत का पहला एस्ट्रो टर्फ भी इसी लखनऊ के स्पोर्ट्स कॉलेज में अस्सी के दशक में लगाया गया। लखनऊ में आजकल इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मुकाबले हो रहे हैं, मगर एक समय था, जब इसी केडी सिंह बाबू स्टेडियम में शीशमहल ट्रॉफी नाम से एक क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन होता था और टीम इंडिया के बड़े खिलाड़ी लखनऊ में खेलते नजर आते थे।
उन्होंने कहा कि लखनऊ अपनी स्पोर्टिंग कल्चर के लिए कितना विख्यात रहा है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि आजादी के बाद जब पहली बार नेशनल गेम्स का आयोजन किया गया तो हमारे-आपके इसी शहर में किया गया। उसके बाद भी समय-समय पर यहां नेशनल और इंटरनेशनल स्पोर्टिंग इवेंट्स आयोजित होते रहे हैं और आज यह सांसद खेल महाकुंभ भी लखनऊ के स्पोर्टिंग कैलेंडर में जुड़ गया है। एक समय था जब लोग खेल के महत्व को समझे बिना कहा करते थे कि खेलोगे कूदोगे होगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब। आज वह सोच बदल चुकी है और खेलों और खिलाड़ियों के प्रति समाज की धारणा बदली है। आज माता-पिता अपने बच्चों को लिएंडर पेस, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, रोहित शर्मा, पीवी सिंधु, डी गुकेश और नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ी और एथलीट के रूप में देखना चाहते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जब खिलाड़ी मैदान में उतरते हैं तो उनका एक ही लक्ष्य होता है, खुद को और टीम को विजयी बनाना। एक खिलाड़ी हमेशा टीम को इंडिविजुअल से ऊपर रखना जानता है। यही भावना आगे चल कर नेशन फर्स्ट के रूप में सामने आती है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में एक नई स्पोर्टिंग कल्चर विकसित हुई है। पहले भारत के खिलाड़ी जीतने से अधिक पार्टिसिपेट करने पर ही संतुष्ट हो जाते थे। आज भारत के खिलाड़ी पूरी दुनिया में जहां कहीं भी जाते हैं, उन्हें गंभीरता से लिया जाता है। इस बदलाव के पीछे एक बड़ी वजह केंद्र और हमारी उत्तर प्रदेश सरकार की स्पोर्ट्स फ्रेंडली नीतियां भी हैं। आज ‘खेलो इंडिया’ के तहत तीन हजार से अधिक खिलाड़ियों को प्रति माह 50 हजार रुपए की सहायता दी जा रही है, जो उन्हें प्रशिक्षण, आहार, कोचिंग, किट, आवश्यक उपकरण और अन्य जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है।
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने कहा कि जमीनी स्तर पर लगभग 1,000 खेलो इंडिया केंद्रों में हजारों खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं। आज के बदलते भारत में छोटे शहरों की प्रतिभाओं को खुलकर आगे आने का मौका मिल रहा है। आज जो खेल महाकुंभ यहां आयोजित किया जा रहा है, उसके परिणाम आने वाले वर्षों में साफ दिखाई देंगे, जब लखनऊ के युवा खिलाड़ी बड़ी संख्या में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतेंगे। खेलों को हम लोग बहुत गंभीरता से लेते हैं। आज हमारी सरकार 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों का आयोजन गुजरात में करने के लिए पूरा प्रयास कर रही है। वहीं, अन्य विश्व स्तरीय खेलों का भी आयोजन भारत में हो इसका भी प्रयास चल रहा है।