नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने देश के खेल क्षेत्र को मजबूत करने के लिए दो बड़ी पहलों का उद्घाटन किया। इनमें नेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट्स साइंस एंड रिसर्च (एनसीएसएसआर) में “रिटर्न टू स्पोर्ट्स सेल” और डिजिलॉकर के जरिए खेल प्रमाणपत्रों की डिजिटल सुविधा शामिल है।
इन दोनों कदमों का मकसद 2036 ओलंपिक के लिए भारत को तैयार करना है।
मांडविया ने कहा कि सरकार देश के खेल क्षेत्र को तेजी से आगे बढ़ा रही है। डिजिलॉकर के जरिए अब खिलाड़ियों को उनके प्रमाणपत्र डिजिटल रूप में आसानी से मिल सकेंगे। इससे प्रशासनिक काम तेज होगा और खिलाड़ियों को समय पर आर्थिक मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, “इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और खेल फेडरेशनों में गड़बड़ी नहीं हो सकेगी। हर फेडरेशन की जवाबदेही सुनिश्चित होगी।”
मंत्री ने बताया कि प्रत्येक खेल फेडरेशन के साथ कॉर्पोरेट साझेदारी की जा रही है, ताकि संसाधनों की कमी न हो और काम की गति बढ़े। इसके अलावा, हर खेल के लिए अलग-अलग ओलंपिक ट्रेनिंग सेंटर बनाए जाएंगे।
मांडविया ने कहा, “मैंने दुनिया के कई देशों के खेल मॉडल का अध्ययन किया है। अब हम भारत में वैसी व्यवस्था लागू करने की दिशा में काम कर रहे हैं।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय कोचिंग और सुविधाएं देना सरकार की जिम्मेदारी है। इसके लिए खिलाड़ी, खेल फेडरेशन और सरकार को एकजुट होकर काम करना होगा। “रिटर्न टू स्पोर्ट्स सेल” का मकसद चोटिल खिलाड़ियों को जल्दी ठीक करने और उन्हें खेल में वापस लाने में मदद करना है। यह सेल खिलाड़ियों की रिकवरी और फिटनेस पर वैज्ञानिक तरीके से काम करेगा।
मांडविया ने कहा कि भारत का लक्ष्य 2036 ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करना है। इसके लिए अभी से मजबूत नींव तैयार की जा रही है। डिजिटल प्रमाणपत्रों की शुरुआत से खिलाड़ियों को कागजी कार्रवाई के झंझट से छुटकारा मिलेगा और वे अपने प्रशिक्षण पर ज्यादा ध्यान दे सकेंगे।
इन पहलों की खेल जगत में खूब सराहना हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि कॉर्पोरेट साझेदारी और डिजिटल सुविधाएं भारत के खेल ढांचे को और मजबूत करेंगी।
मांडविया ने खिलाड़ियों से अपील की कि वे कड़ी मेहनत करें और देश का नाम रोशन करें। सरकार उनकी हर जरूरत को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।