पानी की बूँद – बूँद को तरस रहे मध्यप्रदेश के 300 आदिवासी परिवार

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भोपाल : 20 जून/ भोपाल से लगभग 100 किलोमीटर दूर बसे आदिवासी गाँव भरतीपुर में पानी की भयावह किल्लत ने ग्रामवासियों का जीवन दूभर कर दिया है। इस गाँव में करीब 300 परिवार रहते हैं, जो मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय से हैं। कई वर्षों से यह गाँव पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। गाँव का एकमात्र कुआँ, जो कभी जीवन का आधार था, अब पूरी तरह सूख चुका है। इस कारण महिलाएँ और बच्चे रोजाना कई किलोमीटर पैदल चलकर, नदी और दूर के जलस्रोतों से पानी लाने को मजबूर हैं।

स्थानीय निवासी रमेश सोलंकी जो गाँव में किसान हैं, बताते हैं, “हमारी औरतों और बच्चों को सुबह-सुबह 4-5 किलोमीटर दूर नदी तक जाना पड़ता है। कई बार पानी इतना गंदला होता है कि उसे पीना मुश्किल हो जाता है। यह समस्या अब असहनीय हो चुकी है।”

हाल ही में, गाँव के पास रहने वाले राहिल खान ने अपनी ओर से मदद का हाथ बढ़ाया है। राहिल अपने खेत के एकमात्र बोरवेल से टैंकर में पानी भरकर गाँव तक पहुँचाते हैं। लेकिन यह टैंकर पूरे गाँव की जरूरतों को पूरा करने में नाकाफी है। गाँव की बुजुर्ग महिला शांति बाई कहती हैं, “राहिल की मदद से हमें पीने का पानी तो मिल जाता है, लेकिन नहाने, बर्तन धोने और अन्य कामों के लिए पानी नहीं बचता। एक टैंकर से 300 परिवारों की प्यास कैसे बुझे?”

गाँव के सरपंच ने बताया कि “उन्होंने कई बार प्रशासन को पत्र लिखकर हैंडपंप या जलापूर्ति की माँग की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हमने जिला कलेक्टर को भी इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन हर बार आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। अगर गाँव में एक-दो हैंडपंप लग जाएँ, तो हमारी आधी परेशानी खत्म हो सकती है.”

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता लाल सिंह कहार ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा, “यह शर्मनाक है कि आजादी के इतने साल बाद भी हमारे आदिवासी भाई-बहन मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। सरकार को तत्काल इस दिशा में काम करना चाहिए।”

भरतीपुर की यह स्थिति न केवल जल संकट की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी को भी उजागर करती है। ग्रामवासियों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए। एक हैंडपंप या जलापूर्ति योजना इस गाँव के लिए वरदान साबित हो सकती है। गाँव वालों ने प्रशासन से अपील है कि वह इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई करे, ताकि भरतीपुर के लोग इस पानी की किल्लत से निजात पा सकें।