बेंगलुरु, 18 सितंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को चंद्रयान-4 मिशन के विस्तार को मंजूरी दे दी है ताकि भविष्य में मानवयुक्त चंद्र मिशन की तैयारी की जा सके। इसके साथ ही शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए एक मिशन को भी मंजूरी दी गई है। इस निर्णय की पुष्टि केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने की। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के पहले अंतरिक्ष स्टेशन और अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यानों के विकास को भी मंजूरी दी।
बेंगलुरु में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा के निदेशक राजा राजन ने भविष्य के मिशनों (गगनयान, चंद्रयान 4) पर आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “हम लोग ट्रैक पर हैं और काफी टेस्टिंग की जा रही है। हम चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं। अब अगला कदम ये है कि चांद से कुछ सैंपल लाए जाएं और उन पर प्रयोग किए जाएं। इससे ये भी साबित होगा कि हम चांद पर जा सकते हैं, अपनी गति कम कर सकते हैं और फिर चांद से वापस भी आ सकते हैं। तो यह कुछ नमूनों से साबित हुआ है कि कैसे आगे बढ़ा जाए और कैसे वापस आया जाए, पूरी तकनीक यही है। हम समय पर काम कर रहे हैं और सभी चीजों को अंतिम रूप देने वाले हैं। हम जिस बारे में बात कर रहे हैं वह एक नया लॉन्च पैड है।”
उल्लेखनीय है कि आगामी चंद्रयान-4 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह से चट्टानों और मिट्टी को इकट्ठा करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। इससे पहले 20 अगस्त को, इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा था कि इसरो ने चंद्रमा के अगले दौर के मिशनों – चंद्रयान 4 और 5 – के लिए डिजाइन पूरा कर लिया है और इसके लिए सरकार की मंजूरी लेने की प्रक्रिया में है।
इसरो की वाणिज्यिक शाखा एनआईएसएल के सीएमडी राधाकृष्णन ने भी भविष्य की परियोजनाओं पर बात की। उन्होंने कहा, “हमने 2 साल पहले लॉन्च व्हीकल बनाने के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शुरू किया था। हमने इसरो के पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल से शुरुआत की। हमने 5 रॉकेट बनाने के लिए कंपनियों को चुना। सरकार ने इन कंपनियों को पैसे दिए और वे 5 रॉकेट बनाकर हमें देंगे। हम इन रॉकेट्स का इस्तेमाल सरकारी या प्राइवेट सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए करेंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारा लक्ष्य है कि इसरो के रॉकेट बनाने का काम भारतीय कंपनियों को दिया जाए। सरकार ने भी हमें स्पेस सेक्टर में बदलाव लाने के लिए कहा है। अगला कदम एलवीएम3 लॉन्चर है। यह इसरो का सबसे बड़ा रॉकेट है और हमने इसका इस्तेमाल 72 सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए किया है। इसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है। अगले 10 सालों में दुनिया भर में ऐसे रॉकेट्स की बहुत जरूरत होगी। हमारा लक्ष्य है कि हम हर साल कम से कम 5-6 ऐसे रॉकेट लॉन्च करें। मांग को पूरा करने के लिए हमें और ज्यादा रॉकेट बनाने होंगे।”
उन्होंने आगे जानकारी दी, “इस विशेष वर्ष के नवंबर के दौरान, हमारे पास पीएसएलवी का एक वाणिज्यिक लॉन्च आ रहा है। यह यूरोप का एक ग्राहक है। और, यह एक यूरोपीय कंपनी के लिए पूरी तरह से समर्पित लॉन्च पीएसएलवी है, और यह नवंबर के महीने के दौरान होगा। अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक के लिए दूसरा लॉन्च अगले साल की पहली तिमाही के दौरान आ रहा है।”