भोपाल
चुनाव आयोग की हाल ही में जारी हुई गाईड लाइन के दायरे में डीआईजी सहित तीन जिलों के पुलिस अधीक्षक आ रहे हैं। वहीं कर्नाटक चुनाव के लिए जारी हुए दिशा निर्देश के अनुसार इस दायरे में प्रदेश के विभिन्न जिलों में पदस्थ आधा दर्जन आईपीएस प्रभावित होंगे। इन सभी का अब 31 जुलाई से पहले तबादला किया जाना तय है।
जानकारी के अनुसार डीआईजी इंदौर ग्रामीण चंद्र शेखर सोलंकी को सितम्बर 2020 में यहां पर पदस्थ हुए थे। उनका तीन साल का कार्यकाल इसी साल सितम्बर में पूरा हो रहा है। वहीं भोपाल के डीसीपी विजय खत्री भोपाल में जनवरी 2021 से पदस्थ हैं। वे पहले नार्थ एसपी भोपाल थे, इसके बाद भोपाल में कमिश्नर सिस्टम लागू हुआ तो उसमें उन्हें डीसीपी बनाया गया। वे भी इस दायरे में आ रहे हैं। इसी तरह बुरहानपुर एसपी राहुल लोढा जून 2020 में यहां पर पदस्थ हुए थे। उन्हें जून में तीन साल पूरे हो रहे हैं। पन्ना जिले के एसपी धर्मराज मीणा जनवरी 2021 में यहां पर पदस्थ हुए थे। उन्हें जनवरी 2024 में तीन साल पूरे हो रहे हैं।
एएसपी के भी कई अफसर बदले जाएंगे
इधर आईपीएस के साथ ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और डीएसपी रेंक के अफसरों के भी जल्द ही तबादले होने जा रहे हैं। इनमें भी कई अफसर ऐसे हैं जिन्हें तीन साल से ज्यादा का समय एक ही जिले में हो चुका है। इन अफसरों की सूची तैयार रखी हुई है। सहमति बनते ही तबादला आदेश जारी कर दिए जाएंगे। इन अफसरों के तबादला आदेश इसी महीने होेने की संभावना है।
इनके भी हो सकते हैं तबादले
वहीं इंदौर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनीष कपूरिया का भी तबादला हो सकता है। वे फरवरी 2021 में इंदौर के डीआईजी बने थे। इसके बाद यहां पर भी शुरू हुए पुलिस कमिश्नर सिस्टम में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त बनाए गए। हालांकि चुनाव आयोग की गाईड लाइन के अनुसार जनवरी 2024 तक की स्थिति में तीन साल पूरे होने वाले अफसरों को तबादला करना हैं, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि कपूरिया 31 जनवरी 2024 को रिटायर होने वाले हैं। इसलिए उन्हें पुलिस मुख्यालय पदस्थ किया जा सकता है। इसी तरह भोपाल के डीसीपी विनीत कपूर का भी तबादला होगा। उनका होम टाउन भोपाल है।
मार्च में अधिकांश को बदल दिया था
चुनाव आयोग की गाईड लाइन को लेकर शासन पहले से ही सतर्क था। इसके चलते मार्च में ही 75 आईपीएस अफसरों के तबादले करते हुए बहुत से ऐसे अफसरों के तबादले किए गए थे, जिन पर चुनाव आयोग की गाईड लाइन का असर हो सकता था। इसमें नेताओं के रिश्तेदारों को फील्ड की पोस्टिंग से हटाने का काम भी हुआ था। इसमें ऐसे अफसरों को भी बदला गया जिन्हें एक ही जिले में तीन साल से अधिक का समय चुनाव के वक्त होने जा रहा था। इस दौरान बुरहानपुर और पन्ना जिले छूट गए थे। बुरहानपुर में उस वक्त वन माफियों के खिलाफ बड़ा अभियान चल रहा था, इसके चलते यहां के एसपी को दूसरे जिले की जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। इंदौर ग्रामीण डीआईजी का तबादला भी उस वक्त नहीं किया गया था।