रांची, 25 सितंबर (आईएएनएस)। झारखंड के 70 मजदूर मलेशिया में फंस गए हैं। वहां की एक कंपनी में अच्छी सैलरी और बेहतर सुविधाएं दिलाने का वादा कर ले जाए गए इन मजदूरों को चार महीने से सैलरी नहीं मिली है। हालत यह है कि उन्हें दो वक्त के भोजन के लाले पड़ गए हैं। मजदूरों ने झारखंड और केंद्र सरकार के नाम वीडियो मैसेज जारी कर वतन वापसी की गुहार लगाई है।
सभी मजदूर गिरिडीह, हजारीबाग, बोकारो जिले के रहने वाले हैं। बुधवार को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए वीडियो में अपनी व्यथा सुनाई है।
मजदूरों का कहना है कि वे करीब एक साल पहले यहां लाए गए थे। उन्हें अच्छी सैलरी के साथ-साथ आवास, स्वास्थ्य बीमा आदि सुविधाओं का वादा किया गया था। शुरुआत के तीन-चार महीने उन्हें वादे के अनुसार सैलरी भी दी गई, लेकिन इसके बाद से उनका भुगतान रोका जाने लगा। अब उनकी चार महीने की सैलरी बकाया हो गई है। कंपनी के लोगों ने उनका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया है और उन्हें कठिन परिस्थितियों में काम करने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
मजदूरों ने कहा है कि उनमें से कई की तबीयत खराब हुई, लेकिन उनका इलाज नहीं करवाया गया। विरोध करने पर धमकियां दी जा रही हैं। उन्होंने भारत सरकार और झारखंड सरकार से कंपनी के पास बकाया सैलरी का भुगतान करवाने और वतन वापसी कराने की मांग की है।
यह पहला मौका नहीं है, जब झारखंड के मजदूर विदेशों में फंसे हैं। एक साल के दौरान यह सातवीं-आठवीं घटना सामने आई है। हाल में सेंट्रल अफ्रीका के कैमरून में गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो के 27 कामगार फंस गए थे, जिनकी वापसी विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप पर हुई थी। सऊदी अरब में भी 40 से ज्यादा कामगार फंसे थे। इनमें से 14 की इसी महीने वापसी हुई है, जबकि बाकी मजदूरों को वापस लाने का प्रयास चल रहा है।
मजदूरों के मुद्दों पर काम करने वाले सिकंदर अली ने भी सरकार से इस मामले में कदम उठाने की अपील की है।