बर्थडे स्पेशल: 91 की हुईं ‘सुरों की मल्लिका’ आशा भोसले  

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नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। म्यूजिक इंडस्ट्री की लिविंग लीजेंड आशा भोसले उम्मीद की वो किरण हैं, जिनकी आवाज में ऐसा जादू है , जो एक बार कानों में पड़ जाए तो दिल को सुकून और मन को चैन आ जाता है। आज ये ‘सुरों की मलिका’ 91 साल की हो गईं। वह केवल एक सिंगर नहीं हैं, बल्कि खुद में एक पूरा युग हैं।

खनकती आवाज की मलिका आशा भोसले ने बॉलीवुड को एक अलग पहचान दी। ‘हाय झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में’, ‘ मार गई मुझे तेरी जुदाई’, ‘पिया तू अब तो आजा शोला सा मन दहके आके बुझा जा’ जैसे कई ब्लॉकबस्टर सॉन्ग में सुरों का ऐसा समा बांधा जिसे आज भी लोग सुनना पसंद करते हैं।

हालांकि, महान गायिका का सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा। उनकी लाइफ में पहला विवाद तब हुआ जब उन्हें अपने से 15 साल बड़े शख्स से प्यार हुआ और घर-परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर मात्र 16 साल में उससे शादी भी की। ये घटना उनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर के साथ विवाद की भी मुख्य वजह बनी। जो काफी समय तक चलता रहा।

इक्यानवे की आशा की जिंदगी उनके गानों की तरह ही शोख, कभी संजीदा तो कभी बेबाक रही। गाने ऐसे चुने जो उस दौर के हिसाब से बोल्ड और अलहदा थे। लता मंगेशकर की इस छोटी बहन ने अपनी पहचान बनाने के लिए बड़ा संघर्ष किया। आज भी जीवन उसी बेबाकी भरे अंदाज में जी रही हैं जैसी जवानी में जीती थीं।

इस महान गायिका ने दो शादियां की हैं। पहली शादी महज 16 साल की उम्र में की थी। उन्होंने अपनी बहन लता मंगेशकर के सेक्रेटरी गणपत राव से की। कहा जाता है कि इस शादी से लता मंगेशकर और उनका परिवार खुश नहीं था। हालांकि, गणपत राव से आशा का रिश्ता ज्यादा वक्त तक नहीं चला। कुछ दिनों बाद वह दोनों अलग हो गए।

इसके बाद उन्होंने 47 साल की उम्र में साल 1980 में आरडी बर्मन से दूसरी शादी की। शादी आरडी बर्मन के निधन तक टिकी। लता मंगेशकर और आशा भोसले के बीच संबंधों के बारे में मीडिया में बहुत कुछ सामने आया। एक बार आशा भोसले ने कहा था कि तमाम अफवाहों के बावजूद हम दोनों बहनों के बीच रिश्ता पूरी तरह से मजबूत रहा।

आशा ने 1940 के दशक में बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी शुरुआत की। वह पिछले 8 दशकों से गायन के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्हें दो राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। उन्होंने हिंदी, मराठी, तमिल और बंगाली समेत कई भाषाओं में गाना गाया है। इस महान गायिका ने अपने परिवार से बगावत की तो उनकी नफरत भी झेली। लेकिन जिंदगी को जीया तो सिर्फ अपनी शर्तों पर।