धनबाद, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। झारखंड के धनबाद स्थित आईएसएम (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस)-आईआईटी ने अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में कदम रख दिया है। सोमवार को संस्थान ने 99वां स्थापना दिवस मनाया।
इस अवसर पर आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि यह संस्थान न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि यह एक ऐसी परंपरा का प्रतीक है, जिसने ज्ञान, नवाचार और राष्ट्रीय सेवा के मूल्यों को साकार किया है।
संस्थान के गौरवशाली इतिहास का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इसकी स्थापना 1926 में खनन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांति लाने के उद्देश्य से की गई थी। यह संस्थान देश के शैक्षिक एवं औद्योगिक विकास का दर्पण है और आज यह अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है।
उन्होंने कहा कि आज जब हमारा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है, तो आईआईटी (आईएसएम) जैसे संस्थानों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। यहां से पढ़े विद्यार्थियों ने न केवल शैक्षिक उपलब्धियां हासिल की हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है।
संस्थान के योगदान की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आईआईटी (आईएसएम) केवल तकनीकी और अकादमिक सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह नवाचार, उद्यमशीलता और सामाजिक बदलाव की प्रेरणा भी है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित न रखें और समाज एवं राष्ट्र की सेवा में अपना योगदान सुनिश्चित करें।
छात्रों से मुखातिब होते हुए राज्यपाल ने कहा कि आपका दायित्व है कि आप सामाजिक समस्याओं को समझें और उनके समाधान के लिए कार्य करें। एक विकसित भारत तभी संभव होगा, जब हम सभी अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभाएं। राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त किया कि आईआईटी (आईएसएम), धनबाद आगामी वर्षों में उत्कृष्टता के नए प्रतिमान कायम करेगा और वैश्विक स्तर पर अपने योगदान से विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान बनाएगा।
राज्यपाल ने संस्थान का डिजिटल कैलेंडर भी लॉन्च किया। कार्यक्रम में कोल इंडिया के चेयरमैन पीएम प्रसाद, निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा, दुर्गापुर स्टील प्लांट के निदेशक प्रो. बीपी सिंह सहित कई अतिथि मौजूद रहे।