‘9वीं फेल की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए’ तेजस्वी यादव पर भाजपा नेता अजय आलोक का तंज

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नई दिल्ली, 7 सितंबर(आईएएनएस)। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के डबल इंजन सरकार पर तंज कसने वाले पोस्ट का जवाब देते हुए कहा कि 9वीं फेल की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने तेजस्वी यादव के आरोपों को खारिज करते हुए इसे गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी करार दिया। उन्होंने दावा किया कि एनडीए सरकार ने बिहार में विकास और सुशासन के लिए काम किया है, जबकि राजद शासन के दौरान जंगलराज और भ्रष्टाचार का बोलबाला था।

डबल इंजन की सरकार पर निशाना साधते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने पोस्ट में बिहार में गरीबी, बेरोजगारी, पलायन, और अपराध जैसे मुद्दों को उठाया था, जिसे उन्होंने नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की डबल इंजन सरकार की नाकामी बताया। इस पर जवाब देते हुए भाजपा नेता अजय आलोक ने बिहार के विकास का हवाला देते हुए दावा किया कि राजद शासन के दौरान, जब तेजस्वी यादव के पिता लालू प्रसाद यादव सत्ता में थे, बिहार का बजट मात्र 23 हजार करोड़ रुपये था, जबकि आज एनडीए सरकार के तहत यह 3 लाख 27 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

भाजपा नेता ने तंज कसते हुए कहा, उनका नाम तेजस्वी है, इसका मतलब यह नहीं कि वे तेज हैं।

दरगाह हजरतबल विवाद पर उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अशोक चिह्न के साथ जो हुआ, वो भारत की अखंडता और संप्रभुता का मखौल उड़ाता है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन कार्रवाई कर रहा है और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। यह शर्मनाक है कि राज्य के मुख्यमंत्री इसे सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं, इसका कोई औचित्य नहीं है।

एसआईआर को लेकर विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी एसआईआर को वैध ठहराया है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसे संविधान के तहत मतदाता सूची के संशोधन के लिए एसआईआर जैसे कदम उठाने की शक्तियां प्राप्त हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया पर हाय तौबा मचाने की क्या जरूरत है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस की विपक्षी मानसिकता अब चरम पर पहुंच गई है। उन्होंने खड़गे पर देश की संवैधानिक संस्थाओं, खासकर चुनाव आयोग, पर सवाल उठाने का आरोप लगाया। कहा कि जो लोग चुनाव लड़ने योग्य नहीं हैं, वे अब चुनाव आयोग से ही लड़ रहे हैं।