भारतीय स्वास्थ्य सेवा में योग्य पेशेवरों की कमी को दूर करना महत्वपूर्ण : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 5 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देश में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) को बढ़ावा देने के लिए भारत को स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में योग्य पेशेवरों की कमी को दूर करना होगा।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के सहयोग से भारत में केपीएमजी की रिपोर्ट ने भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार की तत्काल आवश्यकता के बारे में बात की है।

केपीएमजी इंटरनेशनल के हेल्थकेयर के वैश्विक प्रमुख डॉ. अन्ना वैन पॉके ने कहा, “भारत का स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य एक महत्वपूर्ण परिवर्तन से गुजर रहा है, जो वैश्विक मंच पर नवाचार की किरण के रूप में उभर रहा है। यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के साथ, हम यह सुनिश्चित करने का सक्रिय दृष्टिकोण देख रहे हैं कि स्वास्थ्य सेवा केवल कुछ लोगों के लिए विशेषाधिकार नहीं बल्कि सभी के लिए अधिकार है।”

वैन पॉके ने कहा, “हालांकि ,जैसे-जैसे भारत इस विकास को अपना रहा है उसे आधुनिक स्वास्थ्य सेवा की मांगों को पूरा करने वाले कुशल कार्यबल को विकसित करने पर ध्यान देना जरूरी है।”

रिपोर्ट योग्य पेशेवरों की कमी को दूर करने और पिछले तीस वर्षों में भारतीय स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र के विकास का विश्लेषण करने में चिकित्सा शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया।

रिपोर्ट में सामर्थ्य, पहुंच और उपलब्धता पर जोर देते हुए कहा कि यह तीनों ही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।

आयुष्मान भारत योजना और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) जैसी पहलों के बावजूद, देश को योग्य डॉक्टरों की कमी और चिकित्सा शिक्षा में असमानता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

रिपोर्ट में कार्यबल की कमी, भौगोलिक असमानताओं और अनुसंधान की कमी और अनुपालन मुद्दों जैसी प्रमुख चुनौतियों पर भी बात की गई।

इसमें पीजी चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करने, गुणवत्ता बढ़ाने, कम लोकप्रिय विशेषज्ञताओं के लिए पहुंच में सुधार लाने, वैकल्पिक पीजी कार्यक्रमों का विस्तार करने तथा अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है।

भारत में केपीएमजी के पार्टनर और सह-प्रमुख हेल्थकेयर ललित मिस्त्री ने पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाने, व्यावहारिक प्रशिक्षण को बढ़ाने और सभी क्षेत्रों और विशेषज्ञताओं में समान पहुंच सुनिश्चित करने के माध्यम से भारत में स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा के परिवर्तन का आह्वान किया।