रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देते हुए भारत का पावर सेक्टर मजबूत वृद्धि के लिए तैयार

0
25

नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। भारत के विशाल आकार और सभी सेक्टर में बढ़ती मांग के साथ देश में अगले दशक में दूसरे देशों की तुलना में ऊर्जा की मांग में सबसे अधिक वृद्धि होने की उम्मीद है। इसी कड़ी में रिन्यूएबल एनर्जी टारगेट के साथ देश का पावर ट्रांसमिशन सेक्टर महत्वपूर्ण विकास के दौर से गुजर रहा है।

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी को वित्त वर्ष 2022-2032 के दौरान 110 बिलियन डॉलर के निवेश की उम्मीद है, क्योंकि रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता वृद्धि लक्ष्यों के बीच बिजली की मांग में उछाल दर्ज हुआ है।

जापानी ब्रोकरेज नोमुरा के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 और 2027 की अवधि के दौरान भारत की बिजली की मांग 7 प्रतिशत से अधिक की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है।

ब्रोकरेज के अनुसार, भारत के पावर मिक्स में रिन्यूएबल एनर्जी की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। इसी के साथ सौर और पवन ऊर्जा भारत की बढ़ती बिजली मांग का 75 प्रतिशत हिस्सा पूरा कर रहे हैं।

नोमुरा के एक नोट में कहा गया है, ” रिन्यूएबल एनर्जी की हिस्सेदारी कुल बिजली क्षमता का 55 प्रतिशत हिस्सा होगी।”

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) की लेटेस्ट ‘वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2023 में उत्पादन में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था था। देश अब 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।

मौजूदा नीति योजनाओं पर आधारित स्टेटेड पॉलिसीस सिनेरियो (एसटीईपीएस) में, भारत में कुल ऊर्जा मांग में लगभग 35 प्रतिशत की वृद्धि और बिजली उत्पादन क्षमता में लगभग तीन गुना वृद्धि कर 1400 गीगावाट तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।

पिछले महीने शुरू किए गए भारत के राष्ट्रीय बिजली प्लान (ट्रांसमिशन) का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी इंस्टॉल्ड कैपेसिटी और वर्ष 2032 तक 600 गीगावाट से अधिक रिन्यूएबल एनर्जी इंस्टॉल्ड कैपेसिटी ट्रांसमिट करना है।

रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के अनुसार, देश के बिजली उत्पादन में हाइड्रो सहित रिन्यूएबल एनर्जी की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2030 तक बढ़कर 35 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 24 में 21 प्रतिशत थी।

वित्त वर्ष 2030 तक 43.3 प्रतिशत के रिन्यूएबल परचेज ऑब्लिगेशन (आरपीओ) लक्ष्य को प्राप्त करने के साथ भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए 200 गीगावाट की वर्तमान रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को दोगुना से अधिक करने की जरूरत होगी।

सरकार ने 2030 तक अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त करने की बात कही है।