मुंबई, 21 नवंबर (आईएएनएस)। आरबीआई के नवंबर बुलेटिन के मुताबिक, भारत का निर्यात आउटलुक सकारात्मक है। इसकी वजह मुख्य मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों के वैश्विक व्यापार में देश की हिस्सेदारी बढ़ना है।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के पास वर्तमान में पेट्रोलियम उत्पादों के वैश्विक बाजार में 13 प्रतिशत हिस्सा है, जो बढ़ती रिफाइनिंग क्षमताओं और अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने की क्षमता को प्रमाणित करता है।
भारत बहुमूल्य और अर्ध-कीमती पत्थरों का सबसे बड़ा निर्यातक है, कीटनाशकों का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है, रबर न्यूमेटिक टायरों का आठवां सबसे बड़ा निर्यातक है तथा सेमीकंडक्टर्स का नौवां सबसे बड़ा निर्यातक है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि 2024-25 की पहली छमाही में एप्पल ने भारत में निर्मित आईफोन का लगभग 6 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया, जबकि ऑटोमोबाइल निर्यात में 14.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें यात्री और दोपहिया वाहनों का योगदान अधिक है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि कई उत्पादों पर निर्यात की पाबंदियों को हटा दिया गया है। भौगोलिक संकेत (जीआई) उत्पादों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास तेज किए जा रहे हैं ताकि कुल निर्यात को बढ़ाया जा सके और वैश्विक बाजारों में प्रीमियम मूल्य को सुनिश्चित किया जा सके।
पहले से ही ‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ओडीओपी) योजना के तहत 1,100 से ज्यादा जीआई उत्पाद पंजीकृत हैं, जिनमें से 640 का निर्यात किया जा रहा है, जबकि वैश्विक स्तर पर कुल 70,000 जीआई उत्पाद हैं।
रिपोर्ट की हाईलाइट्स में कहा गया कि भारत समुद्री व्यापार के लिए अपने लॉजिस्टिक्स में एक शांत बदलाव से गुजर रहा है, जो भारत के व्यापार का 95 प्रतिशत मात्रा के हिसाब से और 65 प्रतिशत मूल्य के हिसाब से है।
यह भी बताया गया कि पिछले दस वर्षों में बंदरगाहों की क्षमता 745 मिलियन टन से दोगुनी से भी अधिक बढ़कर 1,600 मिलियन टन से अधिक हो गई है।
प्रमुख बंदरगाहों पर यातायात में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2010 में टर्न-अराउंड समय 127 घंटों से घटकर हाल ही में 53 घंटे रह गया है, जिसमें न्हावा शेवा में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) में केवल 21 घंटे का समय रह गया है। इस अवधि के दौरान विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भारत का स्थान 54वें से बढ़कर 38वें स्थान पर पहुंच गया है।