नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। पिछले 10 साल में दिल्ली सरकार की यूनिवर्सिटी में छात्रों की संख्या लगभग दोगुनी हुई है। मुख्यमंत्री आतिशी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार की यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स की संख्या 2014 में 83,620 थी, जो 2024 में बढ़कर 1.55 लाख पहुंच गई है। वह इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वूमेन के सातवें दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पिछले 10 सालों में 4 नई यूनिवर्सिटी की शुरुआत की है। अपने यूनिवर्सिटी के कैंपसों का भी विस्तार किया। इसकी बदौलत 10 सालों में दिल्ली सरकार की यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स की संख्या दोगुनी हो गई। हमारे युवा नौकरी ढूंढने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनें, तभी भारत दुनिया का नंबर-1 देश बनेगा। दिल्ली सरकार के स्कूलों के बच्चे बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम से एंत्रप्रेन्योर बने, लोगों को नौकरियां दी और अब दिल्ली सरकार की सभी यूनिवर्सिटी में भी स्टूडेंट्स को एंत्रप्रेन्योर बनने का मौका मिलेगा। इसके लिए दिल्ली सरकार की यूनिवर्सिटी में जल्द बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम की शुरुआत होगी।
सीएम ने कहा कि कन्वोकेशन का दिन स्टूडेंट्स की ज़िन्दगी बदल देता है। आप सभी स्टूडेंट्स ने दिल्ली ही नहीं बल्कि देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई की है, जहां का प्लेसमेंट रिकॉर्ड भी बहुत शानदार है। लड़कियों के बारे में रूढ़िवादिता का कारण हमारे देश की एक सच्चाई भी है, जहां परिवार के लड़कों को लड़कियों से आगे रखा जाता है।
उन्होंने एक वाकया साझा किया कि दिल्ली सरकार के एक स्कूल में 2015 में मॉर्निंग असेंबली में जब उन्होंने लड़कियों से एक सवाल पूछा कि उनमें से कितनों के भाई प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं तो वहां मौजूद ज़्यादातर लड़कियों ने अपना हाथ उठाया। इसका मतलब था कि यदि परिवार के पास एक बच्चे को अच्छी शिक्षा देने के पैसे थे तो वो अपने बेटे को प्राइवेट स्कूलों में भेजते थे और बेटियों को सरकारी स्कूल में। लड़कियां जब छोटी होती हैं तभी से उन पर कई पाबंदियां होती हैं। लेकिन, आज यहां ग्रेजुएट कर रही लड़कियों ने साबित कर दिया कि वो सब कुछ कर सकती हैं, हर फील्ड में आगे बढ़ सकती हैं।
सीएम ने कहा कि आज दिल्ली पूरे भारत का इकलौता ऐसा राज्य है, जो पिछले 10 सालों से लगातार अपने बजट का 25 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करता आया है। 10 साल पहले तक सरकारी स्कूलों का बुरा हाल होता था। ज्यादातर इलाकों में इन्हें टेंट वाला स्कूल कहा जाता था। लेकिन, पिछले 10 सालों में टेंट वाले स्कूल टैलेंट वाले स्कूलों में बदल गए।