इजरायल-हिजबुल्लाह संघर्ष विराम समझौता क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक ‘मौलिक कदम’ : लेबनानी पीएम

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बेरूत, 27 नवंबर (आईएएनएस)। लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ बातचीत के दौरान इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष विराम समझौते का स्वागत किया।

पीएम मिकाती ने इस संबंध में एक्स पर कई पोस्ट किए। इनमें प्रस्ताव को लेबनान में शांति और स्थिरता बहाल करने, विस्थापित लोगों को उनके कस्बों, शहरों में लौटने में सक्षम बनाने की दिशा में एक मौलिक कदम बताया गया।

प्रधानमंत्री ने अमेरिका और फ्रांस को उनकी भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया और ‘दक्षिण में सेना की मौजूदगी को मजबूत करने’ के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।

मिकाती ने कहा, “मैं इस सहमति तक पहुंचने में संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस की संयुक्त कोशिशों की सराहना करता हूं, मैं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 को लागू करने, दक्षिण में लेबनानी सेना की मौजूदगी बढ़ाने और लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूएनआईएफआईएल) के साथ सहयोग करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता हूं।”

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को कहा, “आज (26 नवंबर) हुए समझौते के तहत, जो स्थानीय समयानुसार कल (27 नवंबर) सुबह 4 बजे से प्रभावी होगा, लेबनान-इजरायल सीमा पर लड़ाई समाप्त हो जाएगी।” यूएस प्रेसिडेंट ने कहा, “इसका उद्देश्य शत्रुता को स्थायी रूप से समाप्त करना है।’

यूएस प्रेसिडेंट ने कहा कि इजरायल और लेबनान के बीच हुए युद्ध विराम समझौते के बाद लेबनानी सेना एक बार फिर अपने क्षेत्र पर कब्जा कर लेगी। उन्होंने कहा, “अगले 60 दिनों में, इजरायल धीरे-धीरे अपनी बाकी सेना और नागरिकों को वापस बुला लेगा – दोनों पक्षों के नागरिक जल्द ही सुरक्षित रूप से अपने समुदायों में वापस लौट सकेंगे और अपने घरों का पुनर्निर्माण शुरू कर सकेंगे।”

राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, “मैं स्पष्ट कर दूं कि अगर हिजबुल्लाह या कोई और इस समझौते को तोड़ता है और इजरायल के लिए सीधा खतरा पैदा करता है, तो इजरायल अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आत्मरक्षा का अधिकार बरकरार रखता है।” उन्होंने कहा, “हिजबुल्लाह और अन्य आतंकवादी संगठनों के बचे हुए लोगों को फिर से इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा बनने की इजाजत नहीं दी जाएगी।”

बाइडेन ने कहा, “दक्षिणी लेबनान में कोई अमेरिकी सैनिक तैनात नहीं किया जाएगा। यह अमेरिकी लोगों से मेरा वादा है कि इस संघर्ष में यूएस सैनिकों को नहीं भेजा जाएगा। हम, फ्रांस और अन्य देशों के साथ मिलकर, यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी मदद प्रदान करेंगे कि यह समझौता पूरी तरह और प्रभावी रूप से लागू हो।

–आईएएनएस

एमके/