रबी फसलों की बुवाई का रकबा 661 लाख हेक्टेयर के पार

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नई दिल्ली, 4 फरवरी (आईएएनएस)। देश में मौजूदा सीजन में रबी फसलों की बुवाई का रकबा 661.03 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। पिछले सीजन में इसी अवधि तक यह आंकड़ा 651.42 लाख हेक्टेयर था।

कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि गेहूं की बुआई का रकबा पिछले साल की इसी अवधि के 318.33 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 324.38 लाख हेक्टेयर हो गया है, जिससे इस सीजन में अनाज का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों की बारिश से भी फसल को लाभ मिलने की उम्मीद है।

दालों का कुल रकबा पिछले साल की इसी अवधि के 137.80 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 140.89 लाख हेक्टेयर हो गया है। इससे दालों की कीमतों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी, जो पिछले कुछ समय से बढ़ती खाद्य महंगाई का प्रमुख कारक बनी हुई हैं।

श्री अन्न और मोटे अनाज की बुवाई का क्षेत्र 55.25 लाख हेक्टेयर होने की जानकारी मिली है। चावल का रकबा पिछले साल की इसी अवधि के 40.59 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 42.54 लाख हेक्टेयर हो गया है।

इस साल कुल बुआई क्षेत्र बढ़ने से आवश्यक खाद्य वस्तुओं का उत्पादन बढ़ने और मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा के अनुसार, आने वाले महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद है, जबकि अर्थव्यवस्था के लिए विकास का दृष्टिकोण “सतर्क रूप से आशावादी” है, क्योंकि कृषि क्षेत्र को अनुकूल मानसून की स्थिति, न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि और इनपुट की पर्याप्त आपूर्ति से लाभ मिलने की संभावना है।

सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों, दालों और चीनी की कीमतों में कमी के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित देश की खुदरा मुद्रास्फीति दर दिसंबर में चार महीने के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर आ गई।

अक्टूबर में 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत को छूने के बाद मुद्रास्फीति में लगातार कमी आ रही है। नवंबर में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.48 प्रतिशत रह गई थी। दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट का कारण प्रमुख खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी रही है।