नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। देश का कोयला आयात चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि में 8.4 प्रतिशत गिरकर 183.42 मिलियन टन (एमटी) हो गया है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 200.19 एमटी था। इसकी वजह देश में कोयला उत्पादन बढ़ना था। यह जानकारी सरकार द्वारा सोमवार को दी गई।
कोयला मंत्रालय ने कहा कि कोयला आयात में कमी से देश को लगभग 5.43 अरब डॉलर (42,315.7 करोड़ रुपये) की विदेशी मुद्रा की बचत हुई।
पावर सेक्टर को छोड़कर नॉन-रेगुलेटेड सेक्टर में कोयला आयात में सालाना आधार पर 12.01 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई है।
अप्रैल से दिसंबर 2024 तक की अवधि में कोयला आधारित बिजली उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना में 3.53 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस दौरान कोयले के तापजनक मान को बढ़ाने के लिए ताप विद्युत संयंत्रों द्वारा मिश्रण के लिए आयात में 29.8 प्रतिशत की बड़ी कमी आई।
सरकार ने बयान में कहा कि यह आयातित कोयले पर निर्भरता कम करने और कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए भारत के चल रहे प्रयासों को दिखाता है।
कोयला क्षेत्र देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को सहारा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोयला, बिजली उत्पादन, इस्पात उत्पादन और सीमेंट निर्माण जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों के लिए प्राथमिक ऊर्जा स्रोत के रूप में काम करता है।
हालांकि, देश को अपनी घरेलू कोयले की मांग (खासकर कोकिंग कोल और उच्च श्रेणी के थर्मल कोयले की) को पूरा करने में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिनकी देश में कमी है। इस कारण इस्पात उत्पादन सहित प्रमुख क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयले का आयात किया जाता है।
कोयला मंत्रालय घरेलू उत्पादन को मजबूत करने और सुरक्षित कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक उपायों को लागू कर रहा है, जो कोयला आयात को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के भारत के लक्ष्यों के अनुरूप है।