केजरीवाल और उनके सिपहसालार, मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से होते जा रहे ‘दागदार’

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नई दिल्ली, 1 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली वक्फ बोर्ड से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान को राउज एवेन्यू कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने अमानतुल्लाह खान की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी है। उन्होंने दिल्ली वक्फ बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में याचिका डाली थी। उन्हें इसको लेकर ईडी ने समन भेजा था।

बता दें कि दिल्ली वक्फ बोर्ड से जुड़े फर्जीवाड़े और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत ईडी ने दो जनवरी को दिल्ली-एनसीआर में आठ लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन चलाया था और यहां से काफी सबूत इकठ्ठा किया था। ईडी ने इससे पहले 10 अक्टूबर 2023 को भी 13 लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन चलाया था।

दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके अमानतुल्लाह खान पर साल 2018 से साल 2020 के दौरान गड़बड़ी करने का आरोप लगा था। उन पर वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष रहते गलत तरीके से 32 लोगों का अवैध रूप से भर्ती करने के साथ बोर्ड की संपत्तियों को गलत तरीके से लीज पर देने का आरोप लगा है। इस मामले में एसीबी की टीम द्वारा अमानतुल्लाह खान को गिरफ्तार किया गया था। साल 2020 में सीबीआई और दिल्ली की एसीबी ने इस मामले में अमानतुल्लाह खान के खिलाफ सबसे पहले केस दर्ज किया था। सीबीआई द्वारा दर्ज इन्हीं मामलों को आधार बनाकर ईडी ने केस को टेकओवर किया था और अब तक लगातार इस मामले में लोगों से पूछताछ की गई है।

अमानतुल्लाह खान इसके साथ ही अपने विवादित बयानों की वजह से भी विपक्षी पार्टियों के निशाने पर रहे हैं। इसके साथ ही उन पर पुलिस ने भी विवादित बयानों की वजह से मामला दर्ज किया है। अमानतुल्लाह खान ने यति नरसिंहानंद सरस्वती का एक वीडियो पोस्ट करते हुए एक्स पर लिखा था, ‘हमारे नबी की शान में गुस्ताखी हमें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं, इस नफरती कीड़े की ज़ुबान और गर्दन दोनों काट कर इसे सख्त से सख्‍त सजा देनी चाहिए, लेकिन हिंदुस्तान का कानून हमें इसकी इजाजत नहीं देता। हमें देश के संविधान पर भरोसा है और मैं चाहता हूं कि दिल्ली पुलिस इसका संज्ञान ले।’

इसके साथ ही दिल्ली हिंसा पर भी अमानतुल्लाह खान ने विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ‘अगर पक्षपात होगा, अगर मुसलमानों से ज्यादती होगी तो दंगे होते रहेंगे। अगर मुसलमानों को दंगाई ठहराओगे तो देश में दंगे होते रहेंगे।’

अमानतुल्लाह खान ने दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन का बचाव करते हुए एक्स पर लिखा था कि वह इस बात की सजा काट रहा है की वो एक मुस्लिम है। शायद आज हिंदुस्तान में सबसे बड़ा गुनाह मुस्लिम होना है, ये भी हो सकता है कि आने वाले वक्त में यह साबित कर दिया जाए कि दिल्ली की हिंसा ताहिर हुसैन ने कराई है।

वहीं, रोहिंग्या मुसलमानों के बचाव के लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की टीम की कार्रवाई में व्यवधान के साथ निगम व पुलिस पर पथराव को लेकर अमानतुल्लाह खान के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इससे पहले अमानतुल्लाह खान दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को पीटकर मुकदमा झेल चुके थे। अमानतुल्लाह खान के साले की पत्नी ने भी उनके खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी तब भी उसे गिरफ्तार किया गया था।

अमानतुल्लाह खान आम आदमी पार्टी के अकेले नेता नहीं हैं जिनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की है। राज्यसभा सांसद संजय सिंह, दिल्ली के शिक्षा मंत्री रहे मनीष सिसोदिया और सूबे के स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्येंद्र जैन भी आप के ही नेता हैं जो पीएमएलए के घेरे में ईडी की जांच झेल रहे हैं। इन सभी को जमानत देने से कोर्ट लगातार इस आधार पर इनकार करता रहा है कि इनके खिलाफ कुछ ऐसे साक्ष्य हैं जो अहम हैं और जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। सत्येंद्र जैन को ही कुछ अवधि की अंतरिम जमानत सेहत के आधार पर मिली है।

अब आप पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को ही ले लें। दिल्ली के कथित शराब घोटाले में उनका नाम भी निकल आया है। ईडी लगातार उन्हें आठ समन भेज चुकी है लेकिन केजरीवाल किसी न किसी बहाने हाजिर होने से कतरा रहे हैं। इससे तो सवाल उठते ही हैं कि क्या केजरीवाल ईडी का सामना करने का साहस इसलिए नहीं जुटा पा रहे हैं क्योंकि वह कुछ छिपाना चाहते हैं। यानि सियासी शुचिता के बड़े-बड़े दावे करके राजनीति में आए केजरीवाल अब अपने सिपहसालारों के साथ पूरी तरह संदेह के घेरे में हैं। पूछा तो यह भी जाने लगा है कि आने वाले दिनों में और कितने आप नेता मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में घिरने वाले हैं।

अब एक बार इस पर भी गौर करें कि पूरे देश में ईडी की तरफ से मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत किस तरह की कार्रवाई की गई और इस पूरे मामले में एजेंसी का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बताया था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पीएमएलए के तहत 15,186.64 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी द्वारा जब्त की गई है। इसमें से अधिकतम रकम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वापस कर दिए गए।

वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से दावा किया गया कि धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में 96% की सजा दर का दावा किया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ये भी बताया कि इन मामलों में जांच पूरी हो चुकी है।

दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा था और इसे राजनीति से प्रेरित बताता रहा था। ऐसे में ईडी की तरफ से यह जवाब दिया गया। ईडी ने तब आंकड़े जारी कर बताया था कि जनवरी 2023 तक 25 मामलों में से 24 में सुनवाई पूरी हो गई थी, जिसके परिणामस्वरूप 45 आरोपियों को सजा सुनाई गई। ईडी ने तब बताया था कि अन्य 1,142 मामलों में सुनवाई चल रही है, जिनमें आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया है। पीएमएलए एक नया कानून है जो 2005 में ही अस्तित्व में आया था।

वहीं, इसके बाद सरकार की तरफ से संसद में एक बार फिर बताया गया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले नौ वर्षों में मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में 93 प्रतिशत से अधिक की सजा दर दर्ज की है। लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया गया था कि एजेंसी ने पिछले नौ वर्षों में पीएमएलए के 31 मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है, जिसके कारण 29 मामलों में 54 आरोपियों को दोषी ठहराया गया। ऐसे में ईडी का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा है और पीएमएलए के तहत सजा की दर 93.5 प्रतिशत है।