गाजा संकट का हवाला दे स्लोवेनिया ने इजरायल के खिलाफ उठाया बड़ा कदम, आर्म्स ट्रेड पर लगाया पूर्ण प्रतिबंध

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नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। स्लोवेनिया ने गाजा में चल रही सैन्य कार्रवाइयों का हवाला देते हुए इजरायल से किसी भी तरह का ‘आर्म्स ट्रेड’ करने से मना कर दिया है। इस तरह स्लोवेनिया यूरोपीय संघ का पहला देश बन गया है जिसने गाजा युद्ध को वजह बता इजरायल के साथ हथियार की खरीद-फरोख्त पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।

इसकी घोषणा को स्लोवेनिया ने “किसी यूरोपीय संघ के सदस्य देश द्वारा अपनी तरह का पहला” बताया है। देश ने गाजा में कथित मानवाधिकार हनन को लेकर अक्सर चिंता व्यक्त की है।

एसटीए समाचार एजेंसी के अनुसार, स्लोवेनियाई प्रधानमंत्री रॉबर्ट गोलोब ने बार-बार संकेत दिया है कि यदि यूरोपीय संघ एक साझा रुख पर सहमत नहीं होता है, तो स्लोवेनिया स्वतंत्र कार्रवाई करेगा।

एक सरकारी बयान में कहा गया है, “यूरोपीय संघ वर्तमान में आंतरिक मतभेदों के कारण पंगु है, जिससे संयुक्त कार्रवाई असंभव हो गई है।” “परिणाम दुखद हैं: गाजा में लोग किसी भी तरह की मदद, स्वच्छ पानी, भोजन और बुनियादी स्वास्थ्य सेवा की कमी के कारण मर रहे हैं, ये लोग अक्सर मलबे में दबे दिखते हैं।”

हालांकि स्लोवेनिया का इजरायल के साथ हथियारों का लेन-देन बहुत कम है, यह प्रतिबंध काफी हद तक प्रतीकात्मक है, जिसका उद्देश्य इजरायल की कार्रवाइयों और गाजा में मानवीय संकट की बढ़ती वैश्विक आलोचना के बीच एक मजबूत कूटनीतिक संदेश देना है।

यह निर्णय स्लोवेनिया सरकार द्वारा की गई अतिरिक्त कार्रवाइयों के बाद आया है, जिसमें जुलाई में दो अति-दक्षिणपंथी इजरायली मंत्रियों को देश में प्रवेश करने से रोकना भी शामिल है। उन पर हिंसा को बढ़ावा देने और फिलिस्तीनियों के खिलाफ “नरसंहार” वाली टिप्पणियां करने का आरोप लगाया गया था।

जून 2024 में, स्लोवेनिया की संसद ने फिलिस्तीन को एक संप्रभु राज्य के रूप में मान्यता दे दी थी, और इस तरह ऐसा करने वाले आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन जैसे देशों की फेहरिस्त में शामिल हो गया था।

अन्य यूरोपीय देशों ने भी इजरायल को हथियारों के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगा दिया है: ब्रिटेन ने पिछले साल कुछ हथियारों के निर्यात को निलंबित कर दिया था, और स्पेन ने अक्टूबर 2023 में हथियारों की बिक्री रोक दी थी। नीदरलैंड ने हथियारों से संबंधित नियंत्रण कड़े कर दिए हैं, जबकि फ्रांस और बेल्जियम में कानूनी चुनौतियां जारी हैं।