गाजा में कुछ लोगों को मिली नकद सहायता, लेकिन खाना-पीने का सामान मिलना मुश्किल: यूएन

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संयुक्त राष्ट्र, 2 अगस्त (आईएएनएस)। गाजा में राहतकर्मियों ने भुखमरी से पीड़ित 10,000 से ज्यादा परिवारों को नकद सहायता दी है, हालांकि बाजार में खाने-पीने का सामान मिलना बेहद मुश्किल है।

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) ने शुक्रवार को कहा, “बाजार में वस्तुओं के दाम अभी भी बेहद अस्थिर हैं। यह अधिकांश लोगों की पहुंच से बाहर हैं।”

‘ओसीएचए’ के मुताबिक इजरायलियों की ओर से सहायता बढ़ाने और राहत काफिलों के सुरक्षित मार्ग की अनुमति देने के लगभग एक हफ्ते बाद भी, गाजा में पहुंची सहायता अपर्याप्त है।

‘सिन्हुआ’ समाचार एजेंसी के अनुसार, इजरायली अधिकारियों की ओर से निर्धारित रास्तों पर राहत काफिलों को अब भी बाधाओं और खतरों का सामना करना पड़ रहा है।

कार्यालय ने कहा कि कई महीनों से जीवन रक्षक बुनियादी जरूरतों से वंचित रहने के चलते संकट और गहरा गया है। बड़ी संख्या में लोग भोजन की तलाश में मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। बीते दो दिनों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत खाद्य राहत काफिलों के रास्तों पर या इजरायली सैन्यीकृत वितरण केंद्रों के पास हुई है।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के उप कार्यकारी निदेशक टेड चैबान हाल ही में इजरायल और गाजा से लौटे हैं। उन्होंने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पत्रकारों के साथ अपने मिशन के कुछ अनुभव साझा किए।

उन्होंने कहा, “हमने स्थिति को स्थिर करने और लोगों की हताशा कम करने के लिए, रोजाना लगभग 500 ट्रकों की संख्या में मानवीय सहायता और कमर्शियल ट्रैफिक की आवाजाही बढ़ाने को कहा है। हमें सभी चैनल्स और सभी गेट्स का उपयोग करके गाजा पट्टी पर आपूर्ति पहुंचानी होगी।”

ओसीएचए ने कहा कि यहां ईंधन की आपूर्ति अभी भी कम है। हालांकि, हाल के दिनों में सीमित मात्रा में ईंधन को गाजा में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है।

कार्यालय ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र और हमारे सहयोगियों को स्वास्थ्य, जल और स्वच्छता, साथ ही आपातकालीन दूरसंचार सेवाओं सहित महत्वपूर्ण सुविधाओं को चलाने के लिए प्रतिदिन लाखों लीटर ईंधन की जरूरत होती है।”

ओसीएचए ने कहा कि हालांकि कम मानवीय गतिविधियों को सीधे तौर पर नकार दिया जाता है, लेकिन स्वीकृत मिशनों को पूरा होने में अभी भी घंटों लग जाते हैं, क्योंकि उन्हें स्वीकृत मार्गों पर विभिन्न स्थानों पर रुकने के लिए मजबूर किया जा रहा है।