नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार सरकार में मंत्री संजय सरावगी ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और विपक्ष के आरोपों पर कहा कि मतदाता सूची में नाम जोड़ना और हटाना एक नियमित और सतत प्रक्रिया है। उन्होंने विपक्ष के विरोध को नाटक और अनावश्यक विवाद करार देते हुए ‘राजनीतिक नौटंकी’ बताया।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि एनडीए सरकार ने बिहार में समाज के सभी वर्गों के लिए व्यापक कार्य किए हैं, विशेष रूप से आधारभूत ढांचे को मजबूत किया। चुनाव आयोग ने घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन का कार्य किया, जिसके तहत पाया गया कि 65 लाख मतदाता संदेह के घेरे में हैं। किसी को आपत्ति है तो आयोग ने एक महीने का समय दिया है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास कोई ठोस चुनावी मुद्दा नहीं है, और वे केवल विवाद पैदा कर रहे हैं।
संजय सरावगी ने कहा कि बिहार में एनडीए सरकार काम कर रही है। बिजली बिल में लोगों को राहत दी गई है। जुलाई का बिल 125 यूनिट तक की खपत वालों के लिए मुफ्त होगा। 140 यूनिट के लिए केवल 15 यूनिट का शुल्क लिया जाएगा। पहले 125 यूनिट के लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा। गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन लगभग तीन गुना बढ़ गई है, जो 400 से बढ़कर 1,100 रुपए किया गया है। जीविका कार्यकर्ताओं का मानदेय भी दोगुना कर दिया गया है। पंचायती राज्य के प्रतिनिधियों, रसोइयों का मानदेय बढ़ाया गया। समाज के सभी वर्गों के लिए हमारी सरकार काम कर रही है। बिहार अब बदल गया है। यह जंगलराज वाला बिहार नहीं है।
उन्होंने दावा किया है कि विपक्ष के पास मुद्दा नहीं है, इसीलिए एसआईआर का मुद्दा उठा रहे हैं। 65 लाख वोट काटे गए हैं तो जुड़वाने के लिए एक महीने का मौका है। विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहा है और इसे आम जनता देख रही है। बिहार विधानसभा चुनाव में इंडी अलायंस का सूपड़ा साफ होने वाला है, सीटें आधी होने वाली हैं। इसी कारण एसआईआर पर नाटक कर रहे हैं।
राहुल गांधी के आरोप पर उन्होंने कहा कि उन्हें धरातल की स्थिति पता नहीं है और वो आरोप लगाते हैं। आयोग ने ड्राफ्ट में सारी जानकारी दी है। दिक्कत है तो आपत्ति दर्ज कराएं। वह सिर्फ बिहार घूमने के लिए आते हैं। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी वैध मतदाता का वोट नहीं काटा गया है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राजनीति में संभावनाएं बनी रहती हैं। कौन कहां जाएगा, कहना थोड़ा मुश्किल है। हमारे साथ कौन आएगा, इसका निर्णय तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तय करते हैं।