नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली में प्रस्तावित स्कूल फीस विनियमन कानून को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा लाया जा रहा नया स्कूल फीस बिल पूरी तरह से निजी स्कूलों और शिक्षा माफिया के पक्ष में है, जिससे अभिभावकों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।
सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि मानसून सत्र में पेश किए जाने वाले इस कानून में स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के बजाय उन्हें खुली छूट दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस बिल में फीस में बढ़ोतरी की शिकायत दर्ज कराने के लिए कम से कम 15 प्रतिशत अभिभावकों की सहमति जरूरी होगी। उन्होंने सवाल किया कि यदि किसी स्कूल में 3000 छात्र हैं तो शिकायत दर्ज कराने के लिए 450 अभिभावकों की मंजूरी चाहिए होगी, जो व्यावहारिक रूप से असंभव है।
आप नेता ने बताया कि प्रस्तावित कानून के अनुसार फीस निर्धारण समिति में 10 सदस्य होंगे, जिनमें 5 सदस्य स्कूल प्रबंधन की ओर से होंगे और 5 अभिभावक भी स्कूल प्रबंधन द्वारा ही लॉटरी के जरिए चुने जाएंगे। भारद्वाज ने आशंका जताई कि इस प्रक्रिया के जरिए स्कूल मालिक अपने विश्वासपात्र लोगों को नामित करेंगे और समिति के जरिए मनमानी फीस वृद्धि को वैधता प्रदान करेंगे।
उन्होंने बताया कि इस साल 1 अप्रैल से शुरू हुए नए शैक्षणिक सत्र में दिल्ली के लगभग सभी निजी स्कूलों ने बहुत ज्यादा फीस वृद्धि की। कुछ स्कूलों ने तो 80 से 82 प्रतिशत तक फीस बढ़ा दी, जिससे अभिभावकों में भारी रोष है। सौरभ भारद्वाज ने भाजपा सरकार से यह भी सवाल किया कि उसने पहले दावा किया था कि सभी निजी स्कूलों का ऑडिट कराया जाएगा और उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी, लेकिन अब तक न तो वह रिपोर्ट सामने आई है और न ही कोई ठोस कार्रवाई दिखाई दे रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार इस बिल को अध्यादेश के जरिये लाने की तैयारी में थी लेकिन अब मानसून सत्र में इसे पेश किया जा रहा है। सरकार ने इस कानून पर जनता की राय नहीं ली, जिससे साफ है कि यह जनता की भलाई के लिए नहीं, बल्कि निजी स्कूल संचालकों के हित में है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह नया कानून अभिभावकों की शिकायतों को रोकने का षड्यंत्र है। सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री से सवाल किया कि आखिर इस कानून के पीछे सरकार की मंशा क्या है? क्या यह कानून शिक्षा को व्यवसायिक मुनाफे की ओर ले जाने वाला कदम नहीं है?
–आईएएनएस
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