महाराष्ट्र में मराठी भाषा को अनिवार्य रूप से दिया जा रहा बढ़ावा: परिणय फूके

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मुंबई, 2 अगस्त (आईएएनएस)। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने एक बार फिर भाषा विवाद को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा है। राज ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री यह सोच रहे हैं कि हिंदी को कैसे लागू किया जाए, लेकिन वे यह नहीं सोचते कि बाहर से आने वाले लोगों को मराठी कैसे सिखाई जाए। इस बयान ने महाराष्ट्र की सियासत में नई हलचल मचा दी है।

राज ठाकरे के इस बयान पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा नेता परिणय फूके ने राज ठाकरे के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा को अनिवार्य रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य के शिक्षा विभाग ने स्कूलों में मराठी को पहली भाषा के रूप में अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही अंग्रेजी और तीसरी भाषा के रूप में हिंदी या अन्य प्रचलित भारतीय भाषा को पढ़ाने की योजना है।

फूके ने राज ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें राज्य की शिक्षा नीति और मराठी को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी कम है। उन्होंने सुझाव दिया कि राज ठाकरे को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलकर शिक्षा नीति पर चर्चा करनी चाहिए और मराठी भाषा को लेकर किसी भी अड़चन को दूर करने के लिए मार्गदर्शन लेना चाहिए।

फूके ने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने मराठी भाषा के सम्मान के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। उन्होंने अमरावती में देश की पहली मराठी यूनिवर्सिटी स्थापित करने का उल्लेख किया, जिसे मराठी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया।

इसके अलावा, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मराठी को क्लासिकल भाषा का दर्जा दिलवाने के प्रयासों की भी सराहना की। फूके ने कहा कि मराठी के सम्मान के लिए इससे बड़ा योगदान किसी अन्य नेता ने नहीं दिया।

राज ठाकरे का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर बहस तेज है। राज ठाकरे पहले भी गैर-मराठी भाषियों, खासकर उत्तर भारतीयों, को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं। उनके इस ताजा बयान से एक बार फिर मराठी बनाम हिंदी का मुद्दा गरमा गया है।