अनुशासन और निरंतर साधना से ही खिलाड़ी बनता है विजेता: अशोक ध्यानचंद

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भोपाल : 3 सितम्बर/ आईसेक्ट विश्वविद्यालय समूह द्वारा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “स्पोर्ट्स अचीवर्स अवार्ड 2025” के अंतर्गत खिलाड़ियों के लिए यादगार और प्रेरणादायी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अर्जुन अवार्डी एवं पूर्व ओलंपियन अशोक ध्यानचंद और 1983 क्रिकेट विश्वकप विजेता टीम के सदस्य व अर्जुन अवार्डी मदनलाल शर्मा ने अपने जीवन संघर्ष और अनुभवों से खिलाड़ियों को प्रेरणा दी। इस अवसर पर आईसेक्ट समूह के कार्यकारी उपाध्यक्ष डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, रबीन्द्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी की प्रो. चांसलर डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी के कुलगुरू डॉ. विजय सिंह, आरएनटीयू के कुलगुरू डॉ. आरपी दुबे, आरएनटीयू की कुलसचिव डॉ संगीता जौहरी, एसीएसयू के कुलसचिव डॉ सितेश सिन्हा और श्री जलज चतुर्वेदी, जिला खेल अधिकारी रायसेन विशेष रूप से उपस्थित थे।

इस अवसर पर अर्जुन अवार्डी और पूर्व ओलंपियन अशोक ध्यानचंद जी ने खिलाड़ियों को प्रेरित करते हुए कहा कि खेलों में सफलता पाने के लिए लंबे समय तक निरंतर प्रयास और अनुशासन जरूरी है। उन्होंने बताया कि किसी भी खिलाड़ी को अपना भविष्य बनाने के लिए कम से कम 10 से 15 वर्षों तक पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ अभ्यास करना पड़ता है। अशोक ध्यानचंद जी ने अपने हॉकी करियर के अनुभव साझा करते हुए कहा कि कठिनाइयाँ चाहे जितनी भी हों, दृढ़ निश्चय और धैर्य से सबका सामना किया जा सकता है। उन्होंने अपने पिता हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद से जुड़े संस्मरण सुनाकर खिलाड़ियों को गौरवान्वित किया। साथ ही उन्होंने अपने पहले अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल की उपलब्धि का किस्सा सुनाते हुए बताया कि कैसे निरंतर मेहनत और लगन से सपनों को साकार किया जा सकता है। उनके अनुभवों ने खिलाड़ियों को यह संदेश दिया कि सफलता की राह में त्याग, अनुशासन और कड़ी मेहनत ही सबसे बड़े हथियार हैं।

अर्जुन अवार्डी और 1983 क्रिकेट विश्वकप विजेता टीम के सदस्य मदन लाल शर्मा जी ने अपने प्रेरणादायी संबोधन में खिलाड़ियों को सफलता के मूल मंत्र बताए। उन्होंने कहा कि किसी भी खिलाड़ी के लिए सिर्फ मेहनत ही काफी नहीं, बल्कि उसे इंटेंसिटी के साथ हार्डवर्क और स्मार्टवर्क का संतुलन बनाना होता है। उन्होंने समझाया कि खिलाड़ी को हर साल अपने खेल में सुधार करना चाहिए, क्योंकि निरंतर प्रगति ही उसे बड़े मंच पर परफॉर्म करने में सक्षम बनाती है। मदन लाल जी ने खिलाड़ियों को प्रोसेस के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि जो खिलाड़ी पूरी ईमानदारी से प्रक्रिया का पालन करता है, वही धीरे-धीरे उत्कृष्टता हासिल कर पाता है। उन्होंने बताया कि एक सफल खिलाड़ी वही है जो हार से भी सीखता है और अगली बार और मजबूत होकर वापसी करता है। उनका संदेश खिलाड़ियों के लिए यह था कि कड़ी मेहनत, अनुशासन, निरंतर आत्ममूल्यांकन और सकारात्मक दृष्टिकोण ही खेल और जीवन दोनों में सफलता की कुंजी हैं।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने अतिथियों व खिलाड़ियों का स्वागत किया और कहा कि आईसेक्ट विश्वविद्यालय समूह शिक्षा के साथ-साथ खेलों को भी समान महत्व देता है। उन्होंने बताया कि समूह द्वारा एक सशक्त स्पोर्ट्स इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत क्रिकेट अकादमी की शुरुआत की जा चुकी है तथा शीघ्र ही फुटबॉल और बैडमिंटन अकादमियों की भी स्थापना की जाएगी। खिलाड़ियों के करियर को दिशा देने के उद्देश्य से स्पोर्ट्स मैनेजमेंट और न्यूट्रिशन जैसे कोर्सेज शुरू किए जा रहे हैं। साथ ही खेलों में शोध, टूर्नामेंट और प्रशिक्षण के माध्यम से प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को विशेष सहयोग प्रदान करना विश्वविद्यालय समूह की हमेशा से ही प्राथमिकता रही है।

कार्यक्रम में हॉकी, जुडो, पैरालंपिक, शूटिंग, बॉक्सिंग, सेलिंग, कयाकिंग केनोइंग, रेसलिंग, रोइंग, मल्लखम्ब, कराटे, वुशु, एथलेटिक्स, फेंसिंग, ग्रैपलिंग इत्यादि खेलों के खिलाड़ी सहित शहर के अनेक खेल प्रेमी भी शामिल हुए।