नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। टेक सपोर्ट स्कैम मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई की। केंद्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, हरियाणा और मुंबई स्थित 15 ठिकानों पर रेड मारी।
पीएमएलए के तहत जांच दिल्ली पुलिस द्वारा करण वर्मा और अन्य के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर के आधार पर शुरू की गई थी। जांच से पता चला है कि धोखेबाज दिल्ली के रोहिणी, पश्चिम विहार और राजौरी गार्डन में कई अवैध कॉल सेंटर चला रहे थे, जहां वे खुद को चार्ल्स श्वाब फाइनेंशियल सर्विसेज, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों और पुलिस, जांच अधिकारियों का ग्राहक सहायता अधिकारी बताकर अमेरिका के भोले-भाले विदेशी नागरिकों को ठगते थे और धोखाधड़ी के जरिए उनकी संपत्ति हड़प लेते थे।
इसमें इस्तेमाल की जाने वाली एक कार्यप्रणाली बीएसओडी (ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ या आमतौर पर ब्लू स्क्रीन एरर के रूप में जानी जाती है) थी। बीएसओडी ग्राहक के डिवाइस में घातक एरर या सिस्टम एरर होते हैं। ये लोग भ्रामक पॉप-अप का इस्तेमाल करते हैं जो असली विंडोज ब्लू स्क्रीन जैसे दिखते हैं। पॉप-अप विंडो पीड़ित को फर्जी समस्या को ‘ठीक’ करने के लिए एक फोन नंबर पर कॉल करने का निर्देश देती है। फिर पीड़ित फर्जी तकनीकी सहायता के जाल में फंस जाता है और अपनी गाढ़ी कमाई गंवा देता है।
पीड़ितों की नकदी को क्रिप्टोकरेंसी, गिफ्ट कार्ड आदि में बदल दिया जाता था, जिसे बाद में हवाला के जरिए देश में धोखेबाजों और उनके साथियों को हस्तांतरित कर दिया जाता था।
मामले की जांच से पता चलता है कि धोखेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए गए क्रिप्टो वॉलेट में लाखों अमेरिकी डॉलर का लेनदेन हुआ है। तलाशी अभियान के दौरान दिल्ली में एक और अवैध कॉल सेंटर का भी पता चला। ईडी ने पीएमएलए के तहत उसकी तलाशी ली। यह कॉल सेंटर भी इन धोखेबाजों द्वारा फर्जी तकनीकी सहायता के बहाने विदेशी नागरिकों से पैसे ऐंठने के लिए चलाया जा रहा था।