कार्तिक षष्ठी पर रवि योग का अद्भुत संयोग, जानें पूजा विधि और इसके लाभ

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नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर रविवार को रवि योग का संयोग पड़ रहा है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से मनचाहे कार्य पूरे होते हैं।

द्रिक पंचांग के अनुसार, रविवार के दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा मिथुन राशि में रहेंगे। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

षष्ठी तिथि का समय 11 अक्टूबर शाम 4 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 12 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सप्तमी लग जाएगी। रविवार को कोई विशेष त्योहार नहीं है, लेकिन जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है, वे व्रत रख सकते हैं।

अग्नि और स्कंद पुराण के अनुसार, रविवार का व्रत रखने से साधक को सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 12 रविवार तक इसका व्रत रख उद्यापन कर दें। वहीं, इसे किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू कर सकते हैं।

व्रत शुरू करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, उसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर व्रत कथा सुनें और सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र मंत्र का पाठ करने और सूर्य देव के मंत्र “ऊं सूर्याय नमः” या “ऊं घृणि सूर्याय नमः” का जप करने से भी विशेष लाभ मिलता है। रविवार के दिन गुड़ और तांबे के दान का भी विशेष महत्व है। इन उपायों को करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है।

रवि योग ज्योतिष में एक शुभ योग माना गया है। यह तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें और तेरहवें स्थान पर होता है। इस दिन निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित काम की शुरुआत करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।